
श्रीरामचरितमानस, गोस्वामी तुलसीदास जी की वह अमर काव्य रचना है जो न केवल राम भक्तों के लिए पूज्य है, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए दुख, रोग और संकट नाशक एक दिव्य औषधि के रूप में मानी जाती है। यह ग्रंथ आध्यात्मिक चेतना का ऐसा दीपक है, जो अंधकारमय जीवन में प्रकाश फैलाता है। श्रीराम के आदर्शों, उनकी मर्यादा, माता सीता की सहनशीलता, और हनुमान जी की भक्ति – ये सभी मिलकर जीवन को एक सही दिशा देने वाले अमृततुल्य तत्व हैं।
गोस्वामी तुलसीदास जी ने स्वयं मानस की महिमा बताते हुए कहा है — “रामचरितमानस सब रोगों की औषधि है।” इसका नियमित पाठ जहां मानसिक तनाव, भय और निराशा को दूर करता है, वहीं यह व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। विज्ञान भी मानता है कि सकारात्मक विचार और शांति से भरे शब्दों का हमारी सोच और शरीर पर चमत्कारी असर होता है। रामचरितमानस का गायन या पाठ करने से वातावरण शुद्ध होता है, मन शांत होता है और आत्मबल की वृद्धि होती है।
अनेक संतों और विद्वानों ने अपने अनुभवों से यह बताया है कि जो व्यक्ति संकट में श्रीरामचरितमानस के दोहे, चौपाई, या सुंदरकांड का पाठ करता है, उसके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन होते हैं। विशेष रूप से सुंदरकांड, संकटमोचन हनुमान जी की स्तुति के रूप में, समस्त भय को हरने वाला माना गया है।
आज के समय में जब व्यक्ति मानसिक अशांति, रिश्तों में तनाव, आर्थिक संकट या स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा है, तब रामचरितमानस एक जीवित समाधान बनकर सामने आता है। इसका हर चौपाई, हर दोहा, और हर कथा जीवन को सार्थकता और उद्देश्य से भर देती है।