
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है, जिसे भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में गिना जाता है। इस पवित्र स्थान से जुड़ा एक अत्यंत रहस्यमयी और अद्भुत किस्सा लोगों के बीच वर्षों से चलता आ रहा है। कहा जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग में रात के समय भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती प्रकट होते हैं और एक साथ चौसर खेलते हैं। यह कथा न केवल भक्तों के मन में श्रद्धा का संचार करती है, बल्कि ओंकारेश्वर के वातावरण को और भी पवित्र और दिव्य बना देती है।
रात के सन्नाटे में जब मंदिर बंद हो जाता है और सभी भक्त अपने-अपने घरों को लौट जाते हैं, तब यहाँ एक अलौकिक दृश्य देखने को मिलता है। कहा जाता है कि भोलेनाथ और माता पार्वती मंदिर के गर्भगृह में बैठकर चौसर खेलते हैं और उसी खेल के बाद वे विश्राम करते हैं। यह खेल उनके बीच के प्रेम और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है। इस रहस्य को सुनकर हर श्रद्धालु का मन आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाता है और वह यहाँ आने के लिए प्रेरित होता है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का यह रहस्य केवल एक धार्मिक कथा ही नहीं बल्कि विश्वास, भक्ति और आध्यात्मिकता का सशक्त उदाहरण भी है। यहाँ आने वाले भक्त न केवल शिवजी के दर्शन करते हैं बल्कि इस दिव्य रहस्य के माध्यम से अपनी आस्था और विश्वास को भी मजबूत करते हैं। यह मंदिर और इसकी कथाएं आज भी भारतीय संस्कृति और धर्म की गहराई को दर्शाती हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी सहेजी जा रही हैं।