उत्तर प्रदेशलखनऊ

लखनऊ पीजीआई के डाॅक्टरों ने लाइलाज रक्त कैंसर से पीड़ित मरीज की बचाई जान, बोन मैरो का किया सफल प्रत्यारोपण

लखनऊ : संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई)के डॉक्टरों ने बोन मैरो प्रत्यारोपण कर रक्त कैंसर से पीड़ित बुजुर्ग की जान बचाने में कामयाबी हासिल की है. बुजुर्ग मरीज प्लाज्मा सेल ल्यूकेमिया नाम के दुर्लभ रक्त कैंसर से पीड़ित था. प्रत्यारोपण करने वाले एसजीपीजीआई में हेमेटोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रो. संजीव ने बताया कि मरीज पूरी तरह ठीक है.

पीजीआई की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि प्रो.संजीव के मुताबिक मरीज राम बाबू मेहरोत्रा (67) प्लाज्मा सेल ल्यूकेमिया नाम के दुर्लभ रक्त कैंसर से पीड़ित थे. उनके इस बीमारी की जानकारी इसी साल मार्च में डॉक्टर को हुई थी. जिसके बाद उनकी कीमोथेरेपी शुरू हुई. इस दौरान उन्हें निमोनिया भी हो गया. इतना ही नहीं मरीज को पहले से ही पेरालिसिस और पार्किंसन बीमारी थी. जिसकी वजह से उनकी सेहत पर ज्यादा गंभीर असर पड़ रहा था. मरीज के स्वास्थ्य को देखते हुये हेमेटोलॉजी विभाग की टीम ने बोन मैरो प्रत्यारोपण करने का फैसला लिया.

प्रत्यारोपण करने वाली टीम

      • हेमेटोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. राजेश कश्यप, डॉ. संजीव, रेजिडेन्ट चिकित्सक डॉ. हर्षल, डॉ. इशिता, (लैब) प्रो. रुचि गुप्ता, डॉ. के रहमान, डॉ. दिनेश चंद्रा, डॉ. मनीष कुमार सिंह, सिस्टर इंचार्ज माधुरी स्मिथ, बीएमटी नर्स आराधना त्रिपाठी, निकुंज तिग्गा, अलका सिंह, मिनिमोल अब्राहम, शीलामणि जालक्सो, दीपशिखा सचान, सिंधु जॉर्ज, रॉबिन्स मैथ्यू, शैली, स्वेता मौर्य, अजीत, शालिनी.
      • स्टेम सेल हार्वेस्टिंग टीम: मनोज कुमार सिंह, आशीष कुमार मिश्रा, पंकज यादव.
      • ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन में डॉ. अतुल सोनकर, डॉ. धीरज खेतान, रेडियोलॉजी के प्रो. हीरा लाल, नेफ्रोलॉजी, प्रोफेसर नारायण प्रसाद, डॉ. मानस पटेल माइक्रोबायोलॉजी, डॉ. अतुल गर्ग, डॉ चिन्मय साहू.
      • न्यूक्लियर मेडिसिन टीम में डॉ. मनीष ओरा, डॉ. आफताब नजर आदिे शामिल रहे.

प्रो.संजीव ने बताया कि प्लाज्मा सेल ल्यूकेमिया मल्टीपल मायलोमा का अखिरी स्टेज है. यह एक दुर्लभ कैंसर है. एसजीपीजीआई में हर साल चार से पांच मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि राम बाबू मेहरोत्रा में जब इस बीमारी की जानकारी हुई तो उसके बाद मरीज के परिवार से बात कर प्रत्यारोपण की तैयारी शुरू की गई. उन्होंने बताया कि मरीज को पहले से स्वास्थ्य संबंधी समस्या थी, लेकिन मरीज का जीवन बचाने के लिए प्रत्यारोपण ही बेहतर तरीका था. प्रत्यारोपण के बाद अब मरीज ठीक है. उन्होंने बताया कि एसजीपीजीआई में यह दूसरा प्रत्यारोपण था. इससे पहले भी प्लाज्मा सेल ल्यूकेमिया से पीड़ित एक मरीज का प्रत्यारोपण किया जा चुका है. बीएमटी युनिट में 200 प्रत्यारोपण हो चुके हैं. जिसमें से प्लाज्मा सेल के 50 ट्रांसप्लांट शामिल हैं.

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