
लखनऊ: रेलवे अधिकारियों की अदूरदर्शिता के चलते चारबाग रेलवे स्टेशन पर हजारों यात्री सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं. रेलवे विभाग को चारबाग रेलवे स्टेशन पर यार्ड रिमॉडलिंग का काम कराना है. इसके चलते यहां पर मिडिल फुटओवर ब्रिज को जर्जर दिखाकर पिछले 2 महीने से बंद कर दिया गया है. इसके चलते कई प्लेटफार्म पर लगे करोड़ों रुपए के एस्केलेटर और लिफ्ट शोपीस बनकर रह गए हैं. ऐसे में यात्रियों को स्टेशन पर लिफ्ट और एस्केलेटर की सुविधा मिल ही नहीं पा रही है. सवाल यही उठता है कि जब अगले कई सालों के लिए सर्वे कराकर ही स्टेशन पर लिफ्ट और एस्केलेटर जैसे उपकरण लगाए जाने होते हैं तो फिर करोड़ों के लिफ्ट और एस्केलेटर खरीद कर क्यों पैसे बर्बाद किए गए, जब इनका कोई इस्तेमाल ही नहीं होना है. रेलवे के अधिकारी अब बता रहे हैं कि फुटओवर ब्रिज को तोड़कर कॉनकोर्स बनाया जाएगा. ऐसे में एस्केलेटर और लिफ्ट को कहीं और शिफ्ट कर दिया जाएगा.
चारबाग रेलवे स्टेशन पर 3 फुट ओवरब्रिज (एफओबी) हैं, जिनमें 8 और 9 नंबर प्लेटफॉर्म को जोड़ने वाला फुट ओवरब्रिज नया है. पश्विमी छोर का एफओबी सेकेंड इंट्री को भी जोड़ता है. उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल ने साल 2018-19 में बीच वाले एफओबी को लिफ्ट और एस्केलेटर से कनेक्ट कर दिया. पिछले साल ही पूर्वी छोर वाले एफओबी को भी लिफ्ट और एस्केलेटर से कनेक्ट किया गया है. सेकेंड इंट्री को जोड़ने वाले एफओबी पर सिर्फ सीढ़ियां और रैंप ही हैं. जर्जर होने की वजह से बीच वाले एफओबी को कुछ माह पहले बंद कर दिया गया था. इसके चलते लिफ्ट और एस्केलेटर शोपीस हो गए हैं. अब सिर्फ एक एफओबी पर ही लिफ्ट और एस्केलेटर की सुविधा है. यात्रियों को 2 से लेकर 7 नंबर प्लेटफार्म तक जाने में काफी समस्याएं हो रही हैं. उन्हें अपने साथ सामान लेकर सीढ़ियों से चढ़ते हुए अन्य प्लेटफार्म के लिए जाना पड़ रहा है, जबकि यात्री सुविधा के लिए ही लिफ्ट और एस्केलेटर लगाए गए थे.
चारबाग रेलवे स्टेशन को सजाने संवारने का फैसला साल 2016 में ही लिया गया था. अधिकारियों ने इसकी कार्ययोजना तैयार की थी, ऐसे में सवाल ये है कि योजना बनाते समय अफसरों को क्या इसका ख्याल नहीं था कि लाखों की लिफ्ट और एस्केलेटर जिस एफओबी पर लगाया जा रहा है, वह कुछ ही सालों में चलने लायक नहीं रहेगा. आमतौर पर रेलवे बड़े काम को करने से पहले सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करता है. अब रेलवे अधिकारियों के अदूरदर्शी फैसले पर सवालिया निशान लग रहे हैं और जिम्मेदार अधिकारियों ने मौन साध लिया है.
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