हापुड़ लिंचिंग मामले में 10 दोषियों को उम्रकैद, गो हत्या के शक में भीड़ ने कासिम को मार डाला था
हापुड़ः पिलखुवा में 2018 में हुई बहुचर्चित मॉब लिंचिंग मामले में मंगलवार को अपर जनपद न्यायाधीश पोस्को ने 10 आरोपियों को दोषी मानते हुए उम्रकैद और जुर्माना की सजा सुनाई है. पिलखुवा के गांव बझैड़ा खुर्द निवासी पशु व्यापारी मोहम्मद कासिम की गोहत्या के शक में भीड़ ने 18 जून 2018 को जमकर पिटाई की थी. गंभीर रूप से घायल कासिम की ईलाज के दौरान मौत हो गई थी. इस मामले ने पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आरोपियों को जेल भेजा था. पुलिस ने इस 11 लोगों को आरोपी बनाया था, जिसमें से दो नाबालिग हैं.
गांव बझेड़ा के समीप कासिम और समयद्दीन पर हुआ था हमला
एसपी अभिषेक वर्मा के अनुसार, पिलखुवा थाना पुलिस ने 18 जून 2018 को अज्ञात लोगों के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज किया था. जिसमें गांव मदापुर निवासी यासीन ने बताया था कि उसका भाई समयद्दीन और कासिम निवासी शद्दीकपुरा किसी काम से बाइक पर अपने घर से गांव बझेड़ा खुर्द होते हुए धौलाना जा रहे थे. बझेड़ा के समीप उनकी किसी अन्य बाइक सवार से टक्कर हो गई. इसके बाद दूसरी बाइक वाले ने अपने गांव के अन्य लोगों को मौक पर बुला लिया और जमकर पिटाई कर दी. घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंच गई और घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया था. जहां पर कासिम को मृतक घोषित कर दिया और घायल समयद्दीन का उपचार कर रही थी. इस मामले में कोर्ट ने 10 लोगों को सजा सुनाई है.
कासिम के भाई ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी गुहार
लेकिन पुलिस द्वारा दर्ज की गई रिपोर्ट का पीड़ित पक्ष ने विरोध किया और निष्पक्ष जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा कि गोकशी की अफवाह को लेकर उनके भाई समयद्दीन और कासिम की कुछ लोगों ने जमकर पिटाई की थी. जिसके चलते ही कासिम की मौत हुई और समयद्दीन घायल हो गया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने डीआईजी मेरठ को मामले की निष्पक्ष जांच करने के आदेश दिए थे. जांच के बाद पुलिस ने 11 आरोपियों के खिलाफ हत्या सहित विभिन्न धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर चार्जशीट न्यायालय में पेश की थी.