पंजाब के बिजली मंत्री स. हरभजन सिंह ई.टी.ओ. ने आज गाँव जलखेड़ी, ज़िला फतेहगढ़ साहिब में 10 मेगावाट बायोमास पावर प्लांट के फिर से सफलतापूर्वक चालू होने का ऐलान किया, जिससे पंजाब के लिए वातावरण और आर्थिक लाभ होंगे।
गाँव जलखेड़ी (तहसील और ज़िला फतेहगढ़ साहिब) में 10 मेगावाट बायोमास प्लांट मूल रूप में पीएसईबी (अब पीएसपीसीएल) द्वारा जून 1992 में चालू किया गया था।
प्लांट जुलाई 1995 तक चलता रहा, जिसके बाद यह जुलाई 2001 में मैसर्ज जलखेड़ी पावर प्लांट लिमटिड (जेपीपीएल) को लीज़ पर दे दिया गया। प्लांट जुलाई 2002 में फिर चालू हुआ और सितम्बर 2007 तक चलता रहा।
2018 में, प्लांट को नवीनीकरन, संचालन और ट्रांसफर के आधार पर लीज़ पर देने के लिए फिर टैंडर किया गया। अब नवीनीकृत प्लांट 21 जून, 2024 को फिर चालू किया गया है।
यह उन्नत डेनमार्क प्रौद्यौगिकी वाले बायलरों का प्रयोग करता है और 100% धान की पराली का प्रयोग करके बिजली पैदा करने के लिए तैयार किया गया है।
यह अति-आधुनिक बायोमास प्लांट सालाना लगभग 1 लाख टन धान की पराली का उपभोग करेगा। यह राज्य सरकार को पंजाब में लगभग 40 हज़ार एकड़ क्षेत्र में धान की पराली जलाने की समस्या को रोकने में मदद करेगा।
यह पहलकदमी 400-500 व्यक्तियों को सीधे और असीधे तौर पर रोज़गार प्रदान करेगी, जो क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढावा देगी। इस प्रोजैक्ट के साथ कई लाभ होंगे जैसे कि खेतों में धान की पराली जलाने के साथ होने वाले वायु प्रदूषण को कम कर वातावरण की सुरक्षा करना, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कमकर टिकाऊ ऊर्जा को समर्थन देना और पंजाब में उपलब्ध भरपूर धान की पराली का प्रभावशाली प्रयोग करना।
इस प्लांट के लिए पावर खरीद समझौते (पीपीए) की अवधि 20 साल है जिसके बाद प्लांट पंजाब स्टेट पावर कारपोरेशन लिमटिड (पीएसपीसीऐल) को ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
टैंडरिंग प्रक्रिया में सबसे कम बोली लगाने वाले द्वारा प्रति किलोवाट घंटा शुरुआती कोट की टैरिफ दर 7.25 रुपए थी और रिवर्स नीलामी के बाद अंतिम कोट की टैरिफ दर 5.84 रुपए प्रति किलोवाट घंटा थी जो बातचीत के बाद ओर 0.07 रुपए प्रति किलोवाट घंटा घटाकर 5.77 रुपए प्रति किलोवाट घंटा कर दी गई है, जिसके साथ लीज़ की मियाद दौरान 10 करोड़ रुपए की बचत होगी।
लीज़ समझौता मैसर्ज सुखवीर एग्रो एनर्जी लिमटिड (एसएईऐल) के साथ 2019 में हस्ताक्षर किया गया था। ऊर्जा मंत्री हरभजन सिंह ई.टी.ओ. ने प्रोजैक्ट के बहु-समर्थकी लाभ पर ज़ोर दिया।
उन्होंने कहा कि यह पहलकदमी न सिर्फ़ हमारी हरित ऊर्जा सामर्थ्य को बढाती है और रोज़गार प्रदान करती है, बल्कि पराली जलाने की लगातार समस्या का हल भी पेश करती है। यह हमारी सरकार की ऊर्जा सुरक्षा, वातावरण सुरक्षा और आर्थिक विकास प्रति वचनबद्धता के साथ पूरी तरह मेल खाती है।