पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें राज्य में जल एवं वेक्टर जनित बीमारियों की रोकथाम एवं नियंत्रण की तैयारियों की समीक्षा की गई।
जल जनित बीमारियों में डायरिया, हैजा और हेपेटाइटिस-ए शामिल हैं, जबकि वेक्टर जनित बीमारियों में मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया शामिल हैं। बैठक में राज्य भर के उपायुक्तों, सिविल सर्जनों, शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी), जल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग तथा ग्रामीण विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
मंत्री ने ऐसी बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण को सामूहिक जिम्मेदारी बताते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे आईएमए सदस्यों के साथ जिला स्तर पर अंतर-विभागीय समन्वय समितियां बनाएं।
जिला स्तर पर एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाना चाहिए, जहां संबंधित सिविल सर्जन बुखार, डायरिया, हैजा, डेंगू या मलेरिया रोगों के मामलों को पोस्ट करेंगे ताकि संबंधित विभाग को अपडेट किया जा सके, ताकि वे उस विशेष क्षेत्र में उचित निवारक उपाय करने के लिए समय पर हस्तक्षेप कर सकें जहां से ऐसे मामले सामने आ रहे हैं।
मंत्री ने आगे कहा कि किसी प्रकोप की स्थिति में, संबंधित जल आपूर्ति एजेंसी को उस दोष का पता लगाना चाहिए जहां पीने योग्य पानी प्रदूषित हो रहा है और जल्द से जल्द दोष को ठीक करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब तक दोष को ठीक नहीं किया जाता है, तब तक आम जनता को वैकल्पिक स्रोत से पीने योग्य पानी की आपूर्ति की जानी चाहिए ताकि मामलों को और बढ़ने से रोका जा सके।
गांवों में खराब पड़े आरओ सिस्टम को गंभीरता से लेते हुए मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इन आरओ को पूरी तरह से कार्यशील बनाया जाए ताकि लोगों को सुरक्षित पेयजल मिल सके।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वेक्टर संक्रमण की श्रृंखला को रोकने के लिए समुदाय का समर्थन महत्वपूर्ण है। जल जनित और वीबीडी की रोकथाम और नियंत्रण के बारे में समुदाय के बीच जागरूकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
स्कूली बच्चों को शिक्षित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि वे मच्छरों के लार्वा की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं तथा अपने आस-पास के लोगों को भी लार्वा की पहचान करने में मदद करने के लिए जागरूक कर सकते हैं, ताकि उनके आसपास मच्छरों के प्रजनन को रोका जा सके।
मंत्री ने राज्य में ‘डेंगू/मलेरिया मुक्त गांव’ अभियान शुरू करने की भी घोषणा की, जिसके तहत यदि कोई आशा कार्यकर्ता अपने गांव को डेंगू/मलेरिया मुक्त घोषित करती है तो उसे स्वास्थ्य विभाग द्वारा सम्मानित किया जाएगा।
डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि वेक्टर जनित बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए आस-पास के वातावरण को साफ और मच्छरों से मुक्त रखने के लिए सरल कदम उठाए जा सकते हैं।
रुके हुए पानी की जांच की जानी चाहिए और लार्वा स्थलों को प्रभावी ढंग से बेअसर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “वेक्टर नियंत्रण कार्यक्रम की सफलता सामुदायिक भागीदारी और स्वामित्व से जुड़ी है।
मंत्री ने बताया कि डेंगू के मामलों के प्रबंधन के लिए सरकारी अस्पतालों में समर्पित डेंगू वार्ड स्थापित किए गए हैं। राज्य में डेंगू के मुफ़्त निदान के लिए 47 सेंटीनेल सर्विलांस अस्पताल स्थापित किए गए हैं, इसके अलावा सभी सरकारी अस्पतालों में डेंगू के रोगियों को मुफ़्त उपचार भी प्रदान किया जा रहा है।
आम आदमी क्लीनिकों के कर्मचारियों और पंचायत विभाग के ग्राम सेवकों को WBD और VBD के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए निवारक उपाय करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री ने स्थानीय निकाय विभाग को निर्देश दिए कि वे शहरों और कस्बों में नियमित अंतराल पर फॉगिंग करवाएं तथा फॉगिंग का कार्यक्रम स्वास्थ्य विभाग के साथ अग्रिम आधार पर साझा किया जाए।
इस अवसर पर सहायक निदेशक डॉ. गगनदीप सिंह तथा राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अर्शदीप कौर द्वारा इन बीमारियों से संबंधित एक व्यापक प्रस्तुति दी गई, जिसमें हाल के वर्षों के तथ्यों का गहन विश्लेषण किया गया तथा स्वास्थ्य विभाग द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताया गया।
बैठक के दौरान पीएचएससी के एमडी वरिंदर शर्मा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण निदेशक डॉ. हितिंदर कौर और पीएचएससी के निदेशक डॉ. अनिल गोयल भी उपस्थित थे।