उत्तर प्रदेशप्रयागराजराज्य

प्रधानपतियों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी, कहा- रबर स्टाम्प की तरह इस्तेमाल की जा रहीं महिला प्रधान

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में निर्वाचित महिला ग्राम प्रधानों के काम में उनके पतियों (प्रधानपति) के हस्तक्षेप पर कड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि यदि इस प्रथा को बढ़ावा दिया गया, तो यह महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य और महिलाओं को विशिष्ट आरक्षण के उद्देश्य को विफल कर देगा.

प्रयागराज के शंकरगढ़ क्षेत्र के पहाड़ी कला गांव निवासी अधिवक्ता प्रवीण कुमार सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि भविष्य में होने वाले चुनावों में प्रत्याशियों से इस आशय का हलफनामा लें कि महिला प्रधान अपने कर्तव्यों और पदीय दायित्व को लेकर सचेत रहेगी. कोर्ट ने कहा कि निर्वाचित महिला प्रधानों को अपने अधिकार और जिम्मेदारियों को अपने पति को हस्तांतरित करने का अधिकार नहीं है. निर्वाचित प्रधान के कार्यों में प्रधान पति की कोई भूमिका नहीं है.

यह था मामला: पहाड़ी कला गांव के प्रवीण कुमार सिंह अधिवक्ता हैं. उन्होंने अपने गांव में प्रधान द्वारा मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों की जिलाधिकारी से शिकायत की थी. हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल की. कोर्ट के निर्देश पर डीएम में शिकायत की जांच कराई. नोडल अधिकारी की जांच के दौरान प्रधान पति धर्मेंद्र सिंह और शिकायतकर्ता प्रवीण सिंह दोनों मौजूद थे. इसको लेकर दोनों पक्षों में विवाद और मारपीट हो गई.

प्रवीण सिंह ने प्रधान पति धर्मेद्र सिंह के खिलाफ प्राथमिक दर्ज कराई, तो धर्मेंद्र सिंह ने भी प्रवीण सिंह के खिलाफ क्रास एफआईआर दर्ज कर दी. पुलिस ने दोनों मामलों में जांच करने के बाद चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी. इस पर संज्ञान लेते हुए सीजेएम इलाहाबाद ने दोनों पक्षों को समन जारी किया. प्रवीण सिंह ने चार्जशीट और समन को हाईकोर्ट में चुनौती दी.

प्रधानपति पर 50 हज़ार हर्जाना: कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने जांच में लापरवाही की है. जांच के दौरान घटनास्थल पर मौजूद रहे सरकारी अधिकारियों का बयान तक दर्ज नहीं किया गया. प्रधान पति धर्मेंद्र सिंह द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी में घटना के 5 दिन बाद उनका मेडिकल कराया गया. कोर्ट ने प्रधान पति पर अनावश्यक हस्तक्षेप करने और अधिकारियों द्वारा निरीक्षण कार्य तथा पुलिस की जांच में दखल देने पर 50 हज़ार रुपये का हर्जाना लगाया. प्रवीण सिंह के खिलाफ चार्ज शीट और समन आदेश रद्द कर दिया.

कोर्ट की टिप्पणी: प्रधानपति शब्द उत्तर प्रदेश में बहुत लोकप्रिय और व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है. एक अनाधिकृत प्राधिकारी होने के बावजूद प्रधानपति आम तौर पर एक महिला प्रधान यानी अपनी पत्नी का काम संभालता है. यह अनाधिकृत हस्तक्षेप महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य और महिलाओं को विशिष्ट आरक्षण देने के उद्देश्य विफल करता है.

Zee NewsTimes

Founded in 2018, Zee News Times has quickly emerged as a leading news source based in Lucknow, Uttar Pradesh. Our mission is to inspire, educate, and outfit our readers for a lifetime of adventure and stewardship, reflecting our commitment to providing comprehensive and reliable news coverage.

संबंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button