विजय दिवस के दिन ढाका में हुए भारत विरोधी नारेबाजी ने एक बार फिर दोनों देशों के बीच तनाव को उजागर किया। प्रदर्शनकारियों ने “दिल्ली का राज नहीं चलेगा” जैसे नारे लगाए, जो बांगलादेश में भारतीय प्रभाव के खिलाफ अपनी नाराजगी को व्यक्त कर रहे थे। इस घटना ने विजय दिवस के मौके पर भारत और बांगलादेश के रिश्तों में राजनीतिक मतभेदों को सामने ला दिया।
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वहीं, ढाका का वॉर मेमोरियल इस दिन सूना पड़ा, जबकि यह स्थान आम तौर पर युद्ध के नायकों और स्वतंत्रता संग्रामियों को श्रद्धांजलि देने के लिए भरा रहता है। यह घटना बांगलादेश की स्वतंत्रता संग्राम की यादों और भारत के साथ ऐतिहासिक संबंधों के संदर्भ में एक जटिल स्थिति को प्रकट करती है। जबकि भारत ने 1971 में बांगलादेश की स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी, अब समय के साथ रिश्तों में उठापटक देखी जा रही है। यह विरोध प्रदर्शन बांगलादेश में वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों का भी प्रतीक है।