
भारतीय वायुसेना ने रक्षा क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए स्वदेशी ‘गौरव’ ग्लाइड बम का सफल परीक्षण किया है। इस बम को अत्याधुनिक सुखोई-30 MKI लड़ाकू विमान से दागा गया और यह 100 किलोमीटर तक की दूरी पर सटीक निशाना साध सकता है।
गौरव बम को DRDO (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) ने विकसित किया है और यह ‘फायर एंड फॉरगेट’ क्षमता से लैस है। यानी एक बार लक्ष्य सेट कर देने के बाद इसे मानव हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती। यह दुश्मन की सीमा में घुसकर सटीक हमला करने में सक्षम है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह हथियार भारत की दीर्घ दूरी की सर्जिकल स्ट्राइक क्षमता को और अधिक धारदार बनाएगा। इसे खासतौर पर पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में तैनाती के लिए डिजाइन किया गया है, जहां पारंपरिक बम पहुंच नहीं पाते।
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‘गौरव’ बम की एक और खासियत है कि यह GPS और INS (Inertial Navigation System) से लैस है, जिससे इसका मार्गदर्शन बिल्कुल सटीक होता है। इसकी मारक क्षमता इसे भारत के रक्षा शस्त्रागार में बेहद अहम बनाती है।
इस सफलता को ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन के तहत बड़ी कामयाबी माना जा रहा है, क्योंकि यह पूरी तरह भारत में बना हुआ हथियार है। यह कदम न केवल रक्षा क्षेत्र में तकनीकी आत्मनिर्भरता को दर्शाता है, बल्कि दुश्मनों के लिए भी एक स्पष्ट संदेश है—भारत अब हर मोर्चे पर तैयार है।