
इन दिनों, यूके के अरबपतियों के लंदन छोड़कर दूसरे देशों में बसने की खबरें सुर्खियों में हैं। यह ट्रेंड न केवल इंग्लैंड बल्कि पूरे यूरोप में देखा जा रहा है। एक समय था जब लंदन को दुनिया के सबसे बड़े वित्तीय और व्यापारिक केंद्रों में से एक माना जाता था, लेकिन अब वहां के अरबपति विदेशों में अपनी जिंदगी का अगला अध्याय लिखने के लिए जाने लगे हैं।
अरबपतियों का यह पलायन टैक्स नीतियों और राजनीतिक अस्थिरता जैसी वजहों से हो रहा है। कई अरबपति इस बात से चिंतित हैं कि उच्च कर दरें और बड़ी संपत्तियों पर बढ़ता टैक्स उनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं। इसके अलावा, यूके के ब्रेक्जिट के बाद व्यापारिक और वित्तीय क्षेत्र में बदलावों ने भी कई लोगों को दूसरे देशों में जाने के लिए मजबूर किया है।
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पारंपरिक रूप से, मोनाको, स्विट्जरलैंड और दुबई जैसे देशों में अरबपतियों का पलायन बढ़ा है, जहां उन्हें कम टैक्स दरें और बेहतर जीवन स्तर मिलते हैं। इसके अलावा, इन देशों में व्यापारिक अवसर और सुरक्षित निवेश विकल्प भी आकर्षक हैं।
हालांकि यूके सरकार ने अरबपतियों को अपनी भूमि में बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन अरबपतियों की यह मूल्य परिवर्तन और निवेश रणनीतियां अब एक नई दिशा में जा रही हैं।