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योगी सरकार की एमसीएडी योजना से किसानों को पारंपरिक सिंचाई पद्धति से मिलेगा छुटकारा

  • सीएम योगी ने प्रदेश के किसानों के खेतों तक पानी की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया मॉडरेशन आॅफ कमांड एरिया डवलपमेंट एंड वॉटर मैनेजमेंट प्रोग्राम
  • सीएम योगी के निर्देश पर जल प्रबंधन और ग्रामीण समृद्धि की ओर उठाया गया बड़ा कदम
  • एमसीएडी योजना से हर खेत तक पहुंचेगा पानी, समृद्ध होंगे प्रदेश के किसान
  • योजना को धरातल पर उतारने के लिए केंद्र ने 1,600 करोड़ रुपये स्वीकृत किये हैं
  • हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए बनेंगे क्लस्टर, आधुनिक तकनीकों से होगी निगरानी
  • योजना से रोजगार और मेक इन इंडिया को मिलेगा बल, ग्रामीण युवाओं को मिलेगा नया अवसर
  • जल और ऊर्जा दोनों की होगी बचत, खेती बनेगी अधिक टिकाऊ और लाभदायक
  • एक क्लस्टर, एक फसल मॉडल से मार्केट-लिंक्ड कृषि से जुड़ेंगे किसान

लखनऊ। योगी सरकार प्रदेश के किसानों को सिंचाई की आधुनिक सुविधा उपलब्ध कराने जा रही है। इस सुविधा से प्रदेश के किसानों को अब सिंचाई के लिए बारिश या पारंपरिक नहरों पर निर्भर नहीं रहना होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश के किसानों को डबल इंजन सरकार की एमसीएडी योजना (मॉडरेशन आॅफ कमांड एरिया डवलपमेंट एंड वॉटर मैनेजमेंट प्रोग्राम ) का लाभ देने के लिए खाका तैयार कर लिया गया है। इसके लिए केंद्र सरकार ने 1,600 करोड़ रुपये स्वीकृत किये हैं। प्रदेश में पहले इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जाएगा। इसमें आईआईटी कानपुर का भी अहम रोल रहेगा। यह योजना कमांड एरिया डवलपमेंट और जल प्रबंधन में गेम चेंजर साबित होगी। इससे एक ओर जहां खेतों तक पानी की आपूर्ति सुनिश्चित होगी, वहीं दूसरी ओर किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी।

अब खेतों में प्रेसराइज्ड पाइप इरिगेशन नेटवर्क टेक्नोलॉजी से होगी सिंचाई

सिंचाई एवं जल संसाधन सचिव जीएस नवीन ने बताया कि सीएम योगी की मंशा के अनुरूप हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार की एमसीएडी योजना को धरातल पर उतारने के लिए खाका तैयार कर लिया गया है। इस योजना का उद्देश्य हर खेत तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था को आधुनिक बनाना है। इसके जरिये पारंपरिक सिंचाई पद्धतियों की जगह अब प्रेसराइज्ड पाइप इरिगेशन नेटवर्क (पीपीआईएन) तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे 90 प्रतिशत तक जल उपयोग दक्षता प्राप्त की जा सकेगी। इससे पानी की भारी बचत, उच्च उत्पादन और ऊर्जा की खपत में कमी सुनिश्चित होगी। योजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत लागू किया जा रहा है। इसमें जल शक्ति मंत्रालय की दो इकाइयों सीएडब्ल्यूएम(कमांड एरिया डवलपमेंट एंड वॉटर मैनेजमेंट) और एआईबीपी (एक्सीलरेटेड इरिगेशन बेनिफिट प्रोग्राम) को एक प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। योजना के पहले चरण को मार्च 2026 तक पूरा कर लिया जाएगा, जिसके बाद 1 अप्रैल 2026 से दूसरा चरण लागू किया जाएगा। इसके संचालन और रखरखाव की प्रक्रिया 2031 तक जारी रहेगी।

योजना से एक क्लस्टर, एक फसल मॉडल को मिलेगा बल

सिंचाई एवं जल संसाधन सचिव ने बताया कि एमसीएडी योजना के तहत 50 से 5000 हेक्टेयर तक के क्लस्टर बनाए जाएंगे। हर क्लस्टर में वॉटर यूजर सोसाइटी (डब्ल्यूयूएस) का गठन किया जाएगा। इससे जुड़कर किसान सिंचाई प्रबंधन करेंगे। इससे किसानों को न केवल जल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी, बल्कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में भी उनकी भागीदारी बढ़ेगी। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में, जहां सिंचाई के लिए भूजल पर भारी निर्भरता है, यह योजना जल की बचत के साथ-साथ पंपिंग लागत और बिजली की खपत में भारी कमी लाएगी। योजना के पहले चरण में ही 150 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बचाया जा सकेगा। राज्य में योजना के कार्यान्वयन, संचालन और रखरखाव से हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा। किसानों को पाइप, सेंसर, पंप, फिल्टर जैसी सिंचाई तकनीकों की ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे उनकी तकनीकी दक्षता भी बढ़ेगी। योगी सरकार पहले से ही कृषि में विविधता और बाजार-लिंक्ड खेती को बढ़ावा दे रही है। एमसीएडी योजना के तहत ‘एक क्लस्टर, एक फसल’ मॉडल को अपनाया जाएगा, जिससे फसलों की गुणवत्ता और बाजार मूल्य में बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही योजना के लिए आवश्यक उपकरणों का निर्माण देश में ही होगा। इससे मेक इन इंडिया और प्रदेशा के एमएसएमई उद्यमों को बड़ा लाभ मिलेगा और स्थानीय स्तर पर औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।

योजना की राष्ट्रीय, राज्य, जिला के साथ आईओटी और जीआईएस जैसी टेक्नोलॉजी से होगी निगरानी

योजना की निगरानी तीन स्तरों क्रमश: राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर होगी। वहीं जल शक्ति मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में केंद्रीय समिति बनेगी। राज्य स्तर पर मुख्य सचिव और जिला स्तर पर जिलाधिकारी योजना के कार्यों की निगरानी करेंगे। साथ ही आईओटी (इंटरनेट आॅफ थिंग्स), एससीएडीए (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्किजिशन), जीआईएस (ग्राफिक इंफ्रॉर्मेशन सिस्टम और सैटेलाइट) डेटा जैसे तकनीकी उपकरणों के जरिए भी निगरानी की जाएगी। इस योगी के इस कदम से न केवल जल की बबार्दी रुकेगी, बल्कि किसानों की उत्पादकता, आमदनी और आत्मनिर्भरता में भी वृद्धि होगी। सीएम योगी के निर्देश दिये हैं कि हर जिले में पायलट प्रोजेक्ट को समय पर पूरा किया जाए और डब्ल्यूयूएस की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए।

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