
देश का उड्डयन सेक्टर एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है। DGCA (नागर विमानन महानिदेशालय) की हालिया जांच में ड्रीमलाइनर विमानों में कई गंभीर तकनीकी खामियां पाई गई हैं। इतना ही नहीं, विमान के रखरखाव में भी अनदेखी की गई है, जो यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से बेहद चिंताजनक है। यह रिपोर्ट सामने आने के बाद विशेषज्ञों ने पूछा है कि क्या भारत का विमानन क्षेत्र अब “राम भरोसे” चल रहा है? जहां यात्रियों की जान जोखिम में डालकर केवल संचालन जारी रखा जा रहा है।
DGCA ने विभिन्न एयरलाइनों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे ड्रीमलाइनर विमानों की नियमित जांच के दौरान पाया कि कई विमानों में टेक्निकल लॉग अपडेट नहीं थे, कुछ हिस्सों की समय-सीमा के बाद भी मरम्मत नहीं की गई थी, और मेंटेनेंस रिकॉर्ड अधूरे थे। यह दर्शाता है कि एयरलाइंस अपने तकनीकी नियमों का पालन ठीक से नहीं कर रहीं।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय उड्डयन क्षेत्र में हाल के वर्षों में यात्रियों की संख्या तो बढ़ी है, लेकिन सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था उतनी तेज़ी से नहीं बढ़ पाई है। कई मामलों में DGCA की चेतावनियों को भी नजरअंदाज किया गया है, जिससे पूरे एविएशन सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
DGCA ने संबंधित एयरलाइनों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, साथ ही चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही सुधार नहीं हुए, तो लाइसेंस और उड़ानों पर प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है। यात्रियों की सुरक्षा से किसी तरह का समझौता स्वीकार नहीं होगा।
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब भारत का उड्डयन क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय विस्तार की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। लेकिन यदि अंदरूनी तकनीकी और सुरक्षा व्यवस्थाएं मजबूत नहीं होंगी, तो यह देश की छवि और यात्रियों की सुरक्षा दोनों के लिए खतरा बन सकता है।