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तेल में उबाल का असर, फिच ने भारत के ग्रोथ अनुमान को घटाकर 8.5 फीसदी किया

रेटिंग एजेंसी ‘फिच’ ने रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण ऊर्जा कीमतों में बढ़ोतरी के बाद अगले वित्त वर्ष के लिए भारत के ग्रोथ अनुमान को 10.3 फीसदी से घटाकर 8.5 फीसदी कर दिया है. एजेंसी ने कहा कि कोरोना वायरस के ‘ओमिक्रोन’ स्वरूप के प्रकोप में कमी आने के बाद से प्रतिबंधों में ढील दी गई है, जिससे इस साल जून की तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि में तेजी लाने के लिए प्लेटफॉर्म तैयार हुआ है. एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) के अनुमान को 0.6 फीसदी बढ़ाकर 8.7 फीसदी कर दिया है. ‘फिच’ ने कहा, हालांकि, हमने भारत के लिए वित्त वर्ष 2022-2023 में अपने विकास पूर्वानुमान को तेजी से बढ़ती ऊर्जा कीमतों के कारण घटाकर 8.5 फीसदी (-1.8 फीसदी की कमी के साथ) कर दिया है.

बढ़ेगी महंगाई

फिच ने कहा कि कोविड-19 (COVID-19) महामारी की रिकवरी संभावित रूप से भारी वैश्विक आपूर्ति झटके से प्रभावित हो रही है जो विकास को कम करेगी और मुद्रास्फीति को बढ़ाएगी. एजेंसी ने कहा, यूक्रेन में युद्ध और रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों ने वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति को खतरे में डाल दिया है. प्रतिबंधों को किसी भी समय जल्द ही रद्द किए जाने की संभावना नहीं है.

वर्ल्ड जीडीपी ग्रोथ का अनुमान भी घटाया

रूस दुनिया की लगभग 10 फीसदी एनर्जी की आपूर्ति करता है, जिसमें उसकी नैचुरल गैस का 17 फीसदी और तेल का 12 फीसदी हिस्सा शामिल है. तेल और गैस की कीमतों में उछाल से उद्योग की लागत बढ़ेगी और उपभोक्ताओं की वास्तविक आय में कमी आएगी. फिच ने कहा कि उसने वर्ल्ड जीडीपी ग्रोथ अनुमान को 0.7 फीसदी अंक घटाकर 3.5 फीसदी कर दिया.

दिसंबर तिमाही में भारतीय सकल घरेलू उत्पाद की ग्रोथ बहुत मजबूत थी. एजेंसी ने कहा कि जीडीपी अपने पूर्व-महामारी स्तर से 6 फीसदी से अधिक है. हालांकि यह अभी भी अपने पूर्व-महामारी ट्रेंड से काफी नीचे है. एजेंसी को उम्मीद है कि मुद्रास्फीति पूरे पूर्वानुमान क्षितिज में 2021 में 6.1 प्रतिशत वार्षिक औसत और 2022 में 5 प्रतिशत पर बनी रहेगी.

इससे पहले, मूडीज (Moody’s) ने चालू वर्ष के लिए भारत के वृद्धि अनुमान को घटाकर 9.1 फीसदी कर दिया, जो पहले 9.5 फीसदी था. रेटिंग एजेंसी ने अपने वैश्विक व्यापक परिदृश्य 2022-23 में कहा कि भारत की वृद्धि दर 2023 में 5.4 फीसदी रह सकती है. इस रिपोर्ट में कहा गया कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से वैश्विक आर्थिक वृद्धि को नुकसान हो सकता है. मूडीज ने कहा कि भारत खासतौर से तेल की अधिक कीमतों के प्रति संवेदनशील है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि चूंकि भारत में अनाज का उत्पादन अधिक है, इसलिए कीमतों में बढ़ोतरी से अल्पावधि में कृषि निर्यात को लाभ होगा.

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