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सशस्त्र बलों में किया गया निवेश देश की अर्थव्यवस्था पर बोझ नहीं : सेना प्रमुख

  • सशस्त्र बलों के मजबूत होने पर ही देश उबरता है आर्थिक संकट से
  • -सशस्त्र बलों पर किये गए खर्च का सौ फीसदी रिटर्न मिलता है देश को

नई दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने सशस्त्र बलों पर हो रहे खर्च को ऐसा निवेश बताया है जिसका सौ फीसदी रिटर्न मिलता है, इसलिए इसे अर्थव्यवस्था पर बोझ के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। कोई भी राष्ट्र शेयर बाजार को मिटाने और हजारों निवेशकों को दिवालिया बनाने वाले उन झटकों से तभी उबर सकता है जब उस देश के सशस्त्र बल मजबूत होते हैं।

राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में एक पुस्तक का विमोचन करने के बाद जनरल नरवणे का यह बयान रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध और पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा गतिरोध के मद्देनजर महत्वपूर्ण है। सेना प्रमुख ने कहा कि जब भी हम सशस्त्र बलों पर किए गए निवेश और व्यय के बारे में बात करते हैं, तो हमें इसे एक निवेश के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह का संकट आने पर सबसे पहले देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है। युद्धकाल या क्षेत्र में अस्थिरता होने पर आप सीधे शेयरों पर, शेयर बाजार पर प्रभाव देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के झटके से बचा जा सकता है जब देश के सशस्त्र बल मजबूत हों।

उन्होंने कहा कि जहां एक राष्ट्र की सुरक्षा में सशस्त्र बल एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं, वहीं राज्य के अन्य अंगों की भी समान रूप से जिम्मेदारी होती है। इसलिए हम सभी की राष्ट्र की सुरक्षा करने में समान और अहम भूमिका होनी चाहिए। जनरल नरवणे ने कहा कि सेना में महिलाओं के प्रवेश को अधिक आसान बनाकर कई रास्ते खोल दिए गए हैं। यहां तक कि सेना की एविएशन विंग भी महिलाओं के लिए खोली गई है। महिला अधिकारियों को आर्मी एविएशन में भर्ती करने के लिए पिछले साल जुलाई में कोर्स शुरू किया गया है, जिसमें एक साल की ट्रेनिंग के बाद महिला अधिकारी सेना में भी पायलट बन सकेंगी। इसके साथ ही आने वाले समय में सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए और अवसर उपलब्ध होंगे।

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