उत्तर प्रदेशलखनऊ

पशुओं में थनैला रोग का त्वरित उपचार जरूरी : डा. कमल कुमार

लखनऊ। थनैला रोग विशेष रूप से पशुओं को होता है। यह रोग सामान्यतया गाय और भैंस में व्यात(बच्चा) देने के पहले या बाद में होता है। इसलिए गाय या भैंस के ब्यात के बाद उचित देखभाल जरूरी है। यह रोग संक्रमण के कारण होता है।

इसके अलावा इस रोग की वजह ईंट या पत्थर पर पशुओं के बैठने पर थन दब जाने से भी होता है, इसलिए पशुओं को जहां बांधें वहां जमीन समतल होनी चाहिए। हो सके तो कच्ची मिट्टी पर ही पशुओं को बांधना चाहिए। अगर पशु बांधने के स्थान पर फर्स पड़ी है तो उस पर मैटी डालनी चाहिए।

पशु चिकित्सक डा. कमल कुमार ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि अगर पशुओं में थनैला रोग के लक्षण दिखे तो तुरन्त पशु चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए। बगैर पशु चिकित्सक की सलाह से अपने मन से उपचार नहीं करना चाहिए। डा. कमल कुमार ने बताया कि शारीरिक रूप से कमजोर पशुओं में यह रोग होने की संभावनाएं अधिक रहती है।

रोग से बचाव

डा.कमल कुमार ने बताया कि पशुओं को थनैला रोग से बचाव के लिए जरूरी है कि जहां पर पशु बांधे जा रहे हों, वहां पर साफ-सफाई जरूरी है। वहां पर समय-समय पर फिनाइल का छिड़काव करना चाहिए। दूध दुहने से पहले हाथ साफ करें और साफ बर्तन में ही दूध निकालें। पशुओं के बैठने का स्थान ज्यादा कठोर के बजाय मुलायम होना चाहिए।

उन्होंने बताया कि दूध निकालने के बाद भी थन को ठीक से साफ पानी से धुलना चाहिए। थन में घाव होने पर तुरंत उपचार करवाएं। थनैला रोग के लक्षण दिखाई देते ही तुरंत वेटरनरी डॉक्टर से उपचार करवाएं।

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