केंद्रीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अचानक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रेपो रेट में बड़ा इजाफा किया है। रेपो रेट की दर 0.4 फीसदी बढ़ा दी गई है। अब रेपो रेट 4.40 फीसदी कर दी गई है। आरबीआई गवर्नर के मुताबिक रेपो रेट में बढ़ोतरी कमोडिटीज और वित्तीय बाजारों में जोखिम और बढ़ती अस्थिरता के कारण की गई है।
इसी के साथ बैंकों की ओर से लोन पर ब्याज दर बढ़ाए जाने का रास्ता साफ हो गया है। रेपो रेट बढ़ने का मतलब ये हुआ कि आने वाले दिनों में आपके लोन की ईएमआई में इजाफा हो सकता है। कहने का मतलब ये हुआ कि अब सस्ते लोन का दौर खत्म हो गया है।
आपको बता दें कि आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक में प्रमुख नीतिगत दर रेपो में लगातार 11 वीं बार कोई बदलाव नहीं किया था। आरबीआई ने इसे चार प्रतिशत के निचले स्तर पर कायम रखा था। भारत में आखिरी बार मई 2020 में रेपो रेट पर कैंची चली थी, जो कोरोना की पहली लहर और लॉकडाउन का दौर था।
शेयर बाजार में बढ़ी बिकवाली:
बहरहाल, आरबीआई के फैसले के बाद शेयर बाजार में बिकवाली बढ़ गई है। दोपहर 2 बजे के बाद सेंसेक्स 950 अंक या 1.65 फीसदी गिरकर 56,030 अंक के स्तर पर ठहरा। निफ्टी की बात करें तो 16,800 अंक के स्तर पर है। एक दिन पहले के मुकाबले 250 अंक या 1.45 फीसदी लुढ़का है।
महंगाई बड़ी चुनौती:
आरबीआई ने अप्रैल के मौद्रिक समीक्षा बैठक में मुद्रास्फीति को बड़ी चुनौती के तौर पर स्वीकार किया था। बीते कुछ माह के आंकड़ों पर गौर करें तो यह एक बहुत बड़ी चुनौती है, जो 6% के ऊपरी स्तर पर बनी हुई है। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति 17 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई है।
यूक्रेन-रूस जंग का असर:
महंगाई बढ़ने की सबसे बड़ी वजह यूक्रेन और रूस के बीच छिड़ी जंग है। करीब दो माह से चल रहे इस जंग में खाद्य तेल समेत अन्य जरूरी उत्पादों के कारोबार पर असर पड़ा है।