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विंग कमांडर विक्रांत उनियाल ने माउंट एवरेस्ट फतह किया, राष्ट्रगान गाया

  • वायुसेना अधिकारी ने स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों को समर्पित की यह उपलब्धि
  • माउंट एवरेस्ट चूमने का दिन बेहद रोमांचक होने के साथ ही शरीर को थका देने वाला रहा

नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर विक्रांत उनियाल ने माउंट एवरेस्ट को फतह किया है। उन्होंने यह इतिहास रचने के बाद राष्ट्रगान गाकर इस उपलब्धि को यादगार बना दिया। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में तैनात वायुसेना अधिकारी उनियाल ने इस एवरेस्ट फतह को भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले सभी गुमनाम नायकों के नाम समर्पित किया है।

भारतीय वायुसेना की मध्य कमान, प्रयागराज में तैनात विंग कमांडर विक्रांत उनियाल ने 21 मई को सफल आरोहण कर शिखर पर तिरंगा फहराने के बाद राष्ट्रगान गाया। उन्होंने अपनी इस उपलब्धि को स्वतंत्रता सेनानियों को ऐसे समय में समर्पित किया जब देश ”आजादी का अमृत महोत्सव” के रूप में स्वतंत्रता के 75 साल का जश्न मना रहा है। उन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले सभी गुमनाम नायकों को श्रद्धांजलि के रूप में अपने इस पराक्रम को समर्पित किया है।

माउंट एवरेस्ट को चूमने का यह पर्वतारोहण अभियान इस साल 15 अप्रैल को काठमांडू (नेपाल) से शुरू हुआ, जिसमें दुनिया भर के टीम के सदस्य शामिल थे। विंग कमांडर विक्रांत उनियाल अनुभवी पर्वतारोही हैं। वह नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, उत्तरकाशी, सेना पर्वतारोहण संस्थान, सियाचिन और राष्ट्रीय पर्वतारोहण और संबद्ध खेल संस्थान, अरुणाचल प्रदेश से प्रशिक्षित हैं। उनके मुताबिक यह एवरेस्ट अभियान पौराणिक और महाकाव्य अनुपात की एक अद्वितीय यात्रा रही है। इसे पूरा करने के लिए धैर्य, सहनशक्ति, मानसिक दृढ़ता और दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता पड़ी।

इस पर्वतारोहण के अनुभवों के बारे में विंग कमांडर का कहना है कि दिन में पारा -10 डिग्री सेंटीग्रेड से -20 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच रहा और रात में तापमान गिरने पर टीम को इलाके की कठिनाई के अलावा कई विपरीत चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 25 हजार फीट से ऊपर का मृत्यु क्षेत्र सबसे बड़ी चुनौती रहा क्योंकि उच्च ऊंचाई पर फेफड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। माउंट एवरेस्ट चूमने का दिन बेहद रोमांचक होने के साथ ही थका देने वाला था।

अधिकारी ने साझा किया कि उन्होंने ”आजादी का अमृत महोत्सव” के अवसर पर माउंट एवरेस्ट की चोटी पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने और गर्व की भावना साझा करने के लिए दृढ़ संकल्प किया था। माउंट एवरेस्ट के शिखर पर राष्ट्रगान गाने वाले शायद एकमात्र भारतीय होने के नाते उन्हें बेहद गर्व महसूस हुआ। इस अभियान में धैर्य, सहनशक्ति, मानसिक दृढ़ता और दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता थी जिसे टीम ने पूरा कर दिखाया।

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