उत्तर प्रदेशखेती-किसानीलखनऊ

कम बारिश के नाते खरीफ में हुई क्षति की रबी में भरपाई की तैयारी

  • -सोलर पंप, खेत-तालाब के संख्या बढ़ाए जाएंगे
  • -सब्जी की खेती के लिए किसानों को करेंगे प्रोत्साहित

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार मौजूदा खरीफ के सीजन में औसत से कम बारिश की वजह से किसानों को होने वाली क्षति की भरपाई में युद्धस्तर पर जुट गई है। इस बाबत सरकार ने दो तरह की रणनीति बनाई है। समस्या का स्थायी समाधान और हुई क्षति की भरपाई। कृषि मंत्री सूर्यपताप शाही के अनुसार स्थाई समाधान के लिए हम किसानों को अधिक से अधिक संख्या में सोलर पंप देंगे। साथ ही पहले से जारी खेत-तालाब योजना के तहत कम बारिश वाले क्षेत्रों, क्रिटिकल एवं सेमी क्रिटिकल ब्लॉक में अधिक से खेत तालाब खुदवाएंगे।

इस साल किसानों को मिलेंगे 30,864 सोलर पंप

कृषि मंत्री के मुताबिक राज्य सरकार ने इस साल 30,864 सोलर पंप लगाने का नया लक्ष्य रखा है। 19 हजार किसानों के आवेदन मिल चुके हैं। इनमें से सात हजार किसान अपने हिस्से का अंशदान भी जमा कर चुके हैं। सरकार भी अपने हिस्से का 37 करोड़ रुपये का राज्यांश जारी कर चुकी है।

श्री शाही ने बताया कि पिछले दिनों उन्होंने केंद्रीय मंत्री से भी मुलाकात की थी। उनसे अनुरोध किया हूं कि केंद्र भी यथाशीध्र अपने हिस्से का अंश जारी करे ताकि यथाशीध्र किसानों के यहां सोलर पंप लगवाए जा सकें। मालूम हो कि सरकार पिछले पांच साल में करीब 26 हजार सोलर पंप लगवा चुकी है। इस साल का लक्ष्य इन पांच वर्षों की तुलना से भी अधिक है।

खोदे जाएंगे 10 हजार खेत-तालाब

इसी तरह सरकार अब तक प्रदेश में 24583 खेत-तालाब खुदवा चुकी है। इसमें से करीब 20 हजार (80 फीसद) बुंदेलखंड, विंध्य, क्रिटिकल एवं सेमी क्रिटिकल ब्लॉकों में हैं। इस साल का लक्ष्य 10 हजार है। मालूम हो कि इन तालाबों के कई लाभ हैं। वर्षा जल के संचयन से संबंधित क्षेत्रों के भूगर्भ जल स्तर में सुधार होता है। सूखे के दौरान ये तालाब सिंचाई एवं मवेशियों के पानी पीने के काम आते हैं।

सब्जी की खेती के लिए पौध उपलब्ध कराएगी सरकार

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता का कहना है कि कम बारिश से होने वाली क्षति को न्यूनतम करने के लिए खाली खेतों में कृषि जलवायु क्षेत्र और स्थानीय बाजार के अनुसार किसानों को सब्जी की खेती के लिए जागरूक किया जाएगा। यही नहीं सरकार का प्रयास होगा कि वह अपने सेंटर ऑफ एक्ससीलेन्स एवं मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और कृषि विज्ञान केंद्रों के जरिए किसानों को बेहतर प्रजाति के निरोग पौध भी उपलब्ध कराए। पिछले दिनों कम बारिश से उतपन्न हालात की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस बाबत निर्देश दे चुके हैं।

शरदकालीन गन्ने के साथ इंटरक्रॉपिंग पर भी जोर

इसी क्रम में गन्ने की बसंत कालीन खेती के दौरान सहफसली खेती के लिए किसानों को जागरूक किया जाएगा। मालूम हो कि गन्ने की कुल खेती के रकबे में करीब 15 फीसद हिस्सा शरद कालीन गन्ने का है। इसके साथ कृषि जलवायु क्षेत्र और स्थानीय बाजार या अपनी जरूरत के अनुसार गन्ने की दो लाइनों के बीच में मटर, आलू, धनिया, गेंहू और अन्य सीजनल सब्ज़ियों की खेती कर अतिरिक्त लाभ ले सकते हैं।

कम बारिश का असर

कम बारिश का किसानों पर दोहरा असर हुआ है। हालांकि इससे रकबे में तो मामूली कमीं आई है, पर बोई गई फसल खासकर धान की बारिश के दौर के लंबे गैप के कारण प्रभावित हुई है। मसलन 2022-23 के खरीफ के फसली सीजन में प्रदेश में कुल 96.03 लाख हेक्टेयर फसल आच्छादन का लक्ष्य था। इसकी तुलना में अब तक 93.22 लाख हेक्टेयर (97.7 फीसद) की बोआई हो सकी है। गत वर्ष यह रकबा 98.9 लाख हेक्टेयर था। सरकार भी मानती है कि बोआई लक्ष्य के अनुरूप है, लेकिन कम वर्षा के कारण प्रदेश में फसलों को नुकसान होने की संभावना बनी हुई है।

अब तक की बारिश की स्थिति

सरकारी प्रवक्ता के अनुसार उत्तर प्रदेश में 33 जिले ऐसे हैं जहां सामान्य से 40-60 फीसद तक ही वर्षा हुई है। वहीं 19 जिले ऐसे हैं जिनमें 40 फीसदी से भी कम बरसात हुई है। अगर हाल के वर्षो से इसकी तुलना करें तो इस वर्ष 20 अगस्त तक प्रदेश में कुल 284 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है, जो कि वर्ष 2021 में हुई 504.10 मिमी और वर्ष 2020 में हुई 520.3 मिमी वर्षा के सापेक्ष कम है। इस बीच एकमात्र चित्रकूट जनपद ऐसा रहा जहां सामान्य से अधिक बारिश हुई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर हालत यही रहे तो जो किसान नमी के सहारे की जाने वाली रबी की कुछ फसलों की बोआई भी प्रभावित हो सकती है। सरकार इसी लिहाज से युद्ध स्तर पर तैयारियों में भी जुटी है।

कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही का कहना है कि अन्नदाता किसानों का हित डबल इंजन (मोदी-योगी) सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। इसीलिए लघु-सीमांत किसानों की कर्ज माफी हुई, दशकों से लंबित सिंचाई परियोजनाओं को पूरा कर सिंचन रकबे में अभूतपूर्व विस्तार किया गया। न्यूनतम सरकारी (एमएसपी) मूल्य पर गेंहू, धान, गन्ने की खरीद हो रही है। तय समय में सीधे किसानों के खाते में भुगतान। लागत मूल्य के अनुसार एमएसपी में वृद्धि। नयी फसलों को इसके दायरे में लाना आदि इसके सबूत हैं। उन्होंने कहा कि सरकार अपनी इसी प्रतिबद्धता के साथ किसानों के साथ हर समय में खड़ी है। इसी क्रम में कम बारिश के कारण किसानों को खरीफ की मौजूदा में हुई भरपाई का हर संभव प्रयास सरकार कर रही है।

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