नयी दिल्ली/देहरादून। उत्तराखंड के जोशीमठ को भूस्खलन और धंसाव क्षेत्र घोषित किये जाने के बाद राहत और बचाव के प्रयास तेज किये जाने के बीच केंद्र ने रविवार को कहा कि तात्कालिक प्राथमिकता लोगों की सुरक्षा है और विशेषज्ञों से संरक्षण और पुनर्वास के लिए लघु और दीर्घकालीन योजनाएं तैयार करने को कहा गया है। उत्तराखंड के मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधू ने जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए रविवार को जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक कुमार और मुख्यमंत्री की सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम के साथ संधू ने जमीन धंसने से बुरी तरह प्रभावित मनोहर बाग, सिंगधार और मारवाड़ी इलाकों का निरीक्षण किया। अधिकारियों ने कहा कि बड़ी दरारें वाले मकानों में रह रहे 13 और परिवारों को प्रशासन ने रविवार को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।
चमोली जिला आपदा प्रबंधन कार्यालय ने बताया कि अस्थायी राहत केंद्रों में पहुंचाये गये परिवारों की संख्या अब 68 हो गई है। गढ़वाल के आयुक्त सुशील कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कस्बे में 610 मकानों में दरारें आई हैं। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात कर निवासियों की सुरक्षा और पुनर्वास के लिए अब तक उठाए गए कदमों सहित स्थिति की जानकारी ली और उन्हें आवश्यक सहायता का आश्वासन दिया। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने रविवार को उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक के बाद कहा कि उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने कहा है कि केंद्रीय विशेषज्ञों के सहयोग से राज्य और जिले के अधिकारियों ने जमीनी स्तर पर स्थिति का आकलन किया है और सूचित किया है कि लगभग 350 मीटर चौड़ी भू-पट्टी प्रभावित हुई है।
पीएमओ ने बताया कि केंद्र सरकार की एजेंसियां और विशेषज्ञ जोशीमठ की स्थिति से निपटने के लिए योजनाएं तैयार करने में उत्तराखंड की मदद कर रहे हैं। पीएमओ ने एक बयान में बताया कि पीड़ित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी चिंतित हैं और उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ स्थिति का जायजा लिया है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की एक टीम और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की चार टीम पहले ही जोशीमठ पहुंच चुकी हैं। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी. के. मिश्रा ने बैठक की। मिश्रा ने कहा कि प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले लोगों की सुरक्षा तत्काल प्राथमिकता होनी चाहिए और राज्य सरकार को निवासियों के साथ स्पष्ट और निरंतर संचार स्थापित करना चाहिए।