आज़मगढ़उत्तर प्रदेश

लोकतांत्रिक आंदोलन को समाप्त करने की साजिश से किसान नेताओं में बड़ी नाराजगी

आज़मगढ़l खिरिया बाग में 104 वें दिन भी धरना जारी रहा. धरना चौरी-चौरा जन विद्रोह के शहीदों को समर्पित रहा.

किसान नेता वीरेंद्र यादव ने जारी बयान में कहा है कि जिलाधिकारी से वार्ता कर लौटते समय उनकी बाइक को जबरन रोकने का प्रयास किया गया. उनकी और दूसरी बार किसान नेता राजीव यादव के अपहरण की कोशिश की गई उससे साफ होता है कि लोकतांत्रिक आंदोलन को प्रशासनिक वार्ताओं से न सुलझा कर अब पुलिस के विशेष दस्ते और अपराधियों के सहारे किसान नेताओं को पीछे हटने के लिए मजबूर किया जा रहा. भवरनाथ के करीब घटना स्थल पर पहुंचे कंधरापुर के थानेदार ने कहा कि आप सब चलिए हम एफआईआर दर्ज करेंगे पर जैसे ही थाने पर गए उन्होंने जांच का बहाना बना एफआईआर दर्ज नहीं किया. और जब थाने से निकले तो किसान नेता राजीव यादव को थानेदार के मोबाइल से फोन आया और सीओ ने बात की और कहा कि आप आ जाइए, जिस पर किसान नेता राजीव यादव ने कहा कि जिस तरह से पुलिस से ही खतरा बन गया है ऐसे में रात में मेरा आना सुरक्षित नहीं है और उसके बाद कहा गया कि मौका दिखा दीजिए जिसपर बताया गया कि थानेदार को दिखा दिया गया है. इसके बाद खिरिया बाग आंदोलन के संयोजक रामनयन यादव से भी बात हुई और रात्रि में सुरक्षा कारणों से जाना उपयुक्त नहीं समझा गया. क्योंकि की फर्जी मुकदमें में फसाने की भी आशंका थी. जिस तरह से रात को थाने पर बुलाने की कोशिश थी और दूसरे दिन और आज तीसरे दिन कोई हाल पता नहीं लिया गया वह गंभीर साजिश की तरफ इशारा करता है. जो दर्शाता है कि कोई दबाव था और इसी घटना के बाद कंधरापुर थानेदार का स्थानान्तरण कर दिया गया.

किसान नेताओं पर बढ़ते हमले का कारण है कि किसान नेताओं ने भूमि अधिग्रहण की करवाई की अवहेलना कर किस तरह से जमीन कब्जाने की कोशिश की गई उस अपराध को सरेआम कर दिया है. जिला प्रशासन पहला सर्वे और दूसरा सर्वे दोनों कानून के खिलाफ जाकर किया जिसका उसके पास कोई जवाब नहीं. जो परियोजना शासन में विचाराधीन है उस पर गैर कानूनी तरीक़े से सहमति पत्र पर दस्तखत कराने की कोशिश की गई. वार्ता में किसान नेताओं ने इस गैरकानूनी कार्रवाई को मजबूती से रखते हुए दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की थी. वार्ता में इन बातों को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों की तल्खी किसान नेताओं के अपहरण की कोशिश तक पहुंचेगी इसका अंदाजा नहीं था.

किसान नेता राजीव यादव और अन्य नेताओं के बारे में लगातार अपरिचित संदिग्ध व्यक्तियों द्वारा मंदुरी, कप्तानगंज, कंधरापुर क्षेत्रों को पूछताछ होती रहती है. किसान नेता राजीव यादव का 24 दिसम्बर के अपहरण के बाद उनका इन प्रभवित गांवों से बाहर जाना उनके जीवन के लिए खतरा बन गया है. सुरक्षा एजेंसियों के हवाले से आंदोलन को अर्बन नक्सलियों द्वारा तूल दिए जाने का झूठा आरोप भी लगा है. बहुत दिनों बाद राजीव यादव का गांव से बाहर जाने पर जिस तरह से अपहरण की कोशिश की गई उससे साफ है कि वो खुफिया एजेंसियों के निशाने पर हैं.

किसानों-मजदूरों ने कहा कि लिखित में शासनादेश दिया जाए कि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के विस्तारीकरण की परियोजना रदद् की जाए.

धरने को राजेश आज़ाद, वेद प्रकाश उपाध्याय, डॉ रविन्द्र नाथ राय, रामशब्द निषाद, अतुल कुमार, रामराज, अम्बिका पटेल, रामाज्ञा यादव, दुखहरन, रामनयन यादव संबोधित किया. अध्यक्षता सुनीता शर्मा और संचालन राधेश्याम ने कियाl

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