
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले कल यानी 14 मार्च को बिजलीकर्मी मशाल जुलूस निकालेंगे। संघर्ष समिति की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि ऊर्जा मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते को लागू करने की मांग में कुछ भी राजनीतिक नहीं है। यह बिजलीकर्मियों की नैसर्गिक न्याय की मांग है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस बाबत ऊर्जा निगम के शीर्ष प्रबन्धन ने अपनी अकर्मण्यता छिपाने के लिए ऊर्जा मंत्री को पूरी तरह से गुमराह किया।
संघर्ष समिति ने आगे कहा कि हड़ताल करने के लिए बिजली कर्मियों को बाध्य किया जा रहा है। बीते 3 दिसम्बर 2022 को हुए लिखित समझौते में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि ऊर्जा मंत्री के अनुरोध पर संघर्ष समिति ने 15 दिन के लिए आन्दोलन स्थगित करने की सहमति प्रदान की थी। अब जबकि 110 दिन बीत चुके हैं। उसके बाद भी प्रबन्धन की हठधर्मिता के चलते समझौता लागू नहीं हो रहा है तो बिजलीकर्मियों के सामने लोकतांत्रिक ढंग से ध्यानाकर्षण करने के अलावा अन्य क्या विकल्प है।