
गोरखपुर। महानगर गोरखपुर में उपाध्यक्ष विकास प्राधिकरण, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, नगर आयुक्त गोरखपुर के संगठित संरक्षण में बगैर स्वीकृत मानचित्र व पार्किंग के साथ-साथ अवैध निर्गत लाइसेंस के माध्यम से आवासीय एवं व्यवसायिक भवनों/ प्रतिष्ठानों में अवैध होटल, नर्सिंग होम, चिकित्सालय, पैथोलॉजी, डायग्नोस्टिक सेंटर, मेडिकल स्टोर, मैरेज हाल के अवैध व्यापार/धंधा जोरों पर है अगर इनका स्थलीय व भौतिक सत्यापन कराया जाए तो आवासीय/ व्यवसायिक बगैर नक्शा पास भवनों में वगैर पार्किंग के संचालित हो रहे अवैध व्यापार का भंडाफोड़ किया जा सकता है।
विगत माह से उक्त के संदर्भ में दर्जनों प्रेषित शिकायत पत्रों पर शासकीय प्रशासकीय स्तर से करवाई नहीं किए जाने के परिणाम स्वरूप उक्त धंधा बेखौफ संचालित हो रहा है और आरोपी लोक सेवकों द्वारा शिकायतकर्ता से यह कहा जा रहा है की इस अवैध धंधे की अवैध वसूली में शासकीय तंत्र की बराबर की हिस्सेदारी है शायद यही कारण है कि उक्त अवैध संचालित धंधे के विरुद्ध स्थानीय अधिकारी कार्रवाई करने की जांच प्रक्रिया ढुल मूल नीति का शिकार हैं। अब यह कहना अतिश्योक्ति नही होगा कि संगठित आरोपियों के संरक्षण में आर्थिक अपराध के अवैध धंधे का कारोबार कुटीर उद्योग का रूप धारण कर लिया है। जिसमें सभी सफेदपोश हमाम हैं, अगर गौर किया जाए तो संपूर्ण उत्तर प्रदेश में अवैध निर्माण व अवैध संचालन का धंधा गोरखपुर महानगर सर्वोच्च स्थान पर है।
उपरोक्त मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बातचीत के दौरान उनके कथनानुसार जांच चल रही है लेकिन जांच की कोई अंतिम समय सीमा निर्धारित नहीं है। अब देखना यह है कि जांच अविरल जांच चलती रहती है? या निष्कर्ष परिणाम भी आएगा? फिर भी जांच के निष्कर्ष परिणाम की आस लगी हुई है। वैसे तो जांच करवाई की लंबी फेहरिस्त है कि निष्कर्ष परिणाम नगण्य है और आरोपी लोकसेवक बेखौफ हैं।