उत्तर प्रदेशलखनऊ

रीजेंसी अस्पताल ने किडनी स्वास्थ्य पर जागरूकता पैदा करने के लिए ने किया वॉकथॉन का आयोजन

लखनऊ: अग्रणी सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, रीजेंसी अस्पताल ने 28 मार्च को सुबह 6.30 बजे से 8.30 बजे तक किडनी रोगों की रोकथाम पर जागरूकता पैदा करने के लिए वॉकथॉन का आयोजन किया, जिसमे लगभग 3000 लोगो ने भाग लिया। ये वॉकथॉन खुर्रम नगर स्थित रीजेंसी अस्पताल के परिसर से शुरू हुआ और एमडी पैलेस पर समाप्त हुआ। इस वॉकथॉन में कुल 2 किमी की दूरी तय की गयी। वॉकथॉन का आयोजन इस वर्ष विश्व किडनी दिवस की थीम – किडनी हेल्थ फॉर ऑल के तहत किया गया। वॉकथॉन में सभी आयु वर्ग के लोग और यहां तक कि मधुमेह, किडनी रोग या मोटापे से पीड़ित रोगी भी शामिल हुए। इस पहल में रीजेंसी हेल्थ के डॉक्टर – डॉ. दीपक दीवान, एमडी, डीएम, नेफ्रोलॉजी, रीनल साइंसेज के निदेशक और डॉ. आलोक कुमार पांडे, कंसल्टेंट – नेफ्रोलॉजिस्ट एवं रीनल ट्रांसप्लांट एवं अन्य डॉक्टर भी शामिल हुए।

डॉ दीपक दीवान, एमडी, डीएम, नेफ्रोलॉजी, रीनल साइंसेज विभाग के निदेशक, रीजेंसी अस्पताल, लखनऊ ने कहा, “वॉकथॉन में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों का हम धन्यवाद देना चाहते हैं कि उन्हें किडनी रोग के बारे में बताएं, जागृति फेलने के लिए हमारी कोशिश इस कोशिश में हमारा साथ दिया किडनी डिजीज का मतलब है कि आपकी किडनी ठीक से काम नहीं कर रही है। क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) का मतलब है कि समय के साथ आपकी किडनी की कार्यक्षमता धीरे-धीरे खराब होती जाती है। उच्च रक्तचाप और मधुमेह सीकेडी के दो सामान्य कारण हैं। सीकेडी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन आप यथासंभव लंबे समय तक कार्य को बनाए रखने के लिए कदम उठा सकते हैं। अंतिम चरण की किडनी की बीमारी के लिए डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है।

डॉ. आलोक कुमार पाण्डेय, कंसल्टेंट- नेफ्रोलॉजिस्ट एंड रीनल ट्रांसप्लांट, रीजेंसी अस्पताल ने कहा, “भारत में किडनी की बीमारी एक बढ़ती हुई स्वास्थ्य चिंता है और किडनी रोगों के कारण जीवनशैली में नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। गुर्दे की बीमारी को अक्सर ” साइलेंट डिजीज” के रूप में संदर्भित किया जाता है, क्योंकि इसके शुरुआती चरण में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं होते हैं, जितनी जल्दी आपको पता चलता है कि आपको गुर्दे की बीमारी है, उतनी ही जल्दी आप अपने गुर्दे को और नुकसान से बचाने के लिए कदम उठा सकते हैं। यहां तक कि अगर आप स्वस्थ महसूस करते हैं, मगर आपकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है या या आपकोमधुमेह, उच्च रक्तचाप, या हृदय रोग जैसे जोखिम वाले कारक हैं, तो अपने डॉक्टर से गुर्दे की बीमारी के परीक्षण के बारे में बात करने पर विचार करें। गुर्दा देखभाल योजना विकसित करने के लिए आपका डॉक्टर आपके साथ काम करने के लिए आपके परीक्षण के परिणामों का उपयोग कर सकता है। एक योजना होने से दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के लिए आपका जोखिम कम हो सकता है, और आपको अधिक स्वस्थ क्षण मिल सकते हैं।”

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