
लखनऊl मेहदवी समाज के सभी क्लासों में हज़रत ए खतीज – जतुल – कुबरा की वफात के मौके पर वक्त के इमाम की खिदमत में तस्लियत पेश की गईlतमाम असातीत में अपने अपने लेक्चर्स में हज़रत ए खतिज जतुल कुबरा की इस्लाम के साथ वफादारी के मुख्तलिफ पहलुओं पर गुफ्तगू कीl बीबी रसूल ए अकरम के साथ रह कर बराबर से इस्लाम के नशर और उसके फिरोग में शरीक थीlआपकी वफात के मौके पर रसूल ए अकरम ने उस साल को आमूल हुस्न के नाम से ताबीर कियाl
आपकी वफात के बाद मुख्तलिफ मौको पर रसूल ए अकरम जनाबे खतिज – जतुल – कुबरा की वफा और उनकी पायेदारी और इस्लाम की खिदमतो को याद करके गिरया फरमाया करते थेlहमारे बाज़ असातीत ने ये भी बताया की बाज़ मौके पर आपके किसी ज़ौजा ने ए तराज किया कि अल्लाह ने आपको उससे बेहतर बीवियां अता की हैं, उस पर रसूल ए अकरम ने फरमाया कि कौन खतीजा का मुकाबला कर सकता हैlउसने उस वक्त मेरा साथ दिया जब सबने हमको छोड़ दिया थाl वो उस वक्त मेरे ऊपर ईमान लाई जब कि लोग हमारा इनकार कर रहे थेl जनाबे खतिज- जतुल- कुबरा की वफात पर आपकी बेटी जनाबे फातिमा जहरा ने खिदमत की l
अपनी मां के बारे में सवाल किया तो अल्लाह की जानिब से जिबरील नाजिल होकर पैगाम ले कर के आए ऐ रसूल फातिमा से कह दीजिए की आपकी मां जन्नत के महल में जनाबे मरियम ओ, जनाबे हाजरा ओ सारा की हमनशीन हैंlइस बावफा रसूल ए अकरम की ज़ौजा की ज़िन्दगी के मुख्तलिफ पहलू आज समाज की अहम ज़रूरत हैजिस पर हमारे घर की खुवातीन अगर जनाबे खतिज – जतुल – कुबरा के किरदार को अपना ले तो हर घर जन्नत बन सकता हैlआखिर में वक्त के इमाम की खिदमत में उनका पुरसा और इमाम की सलामती के लिए सभी सेंटर्स पर दुआ की गईl