
गोरखपुर। माह-ए-रमज़ान रुखसत होने वाला है। शहर की मस्जिदों में अलविदा जुमा (रमज़ान का अंतिम जुमा) की नमाज अदा करने के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। साफ-सफाई हो गई है। जुमा की नमाज दोपहर 12:30 से 2:30 बजे तक सभी मस्जिदों में अदा की जाएगी। मस्जिदों में अलविदाई खुतबा होगा। जुमा की नमाज अदा करने के बाद खुसूसी दुआ मांगी जाएगी। इस दौरान शहर की मस्जिदों में काफी भीड़ उमड़ेगी। मस्जिद कमेटियों ने दरी, चटाई, शामियाना, पानी वगैरा का इंतजाम किया है। जुमा की नमाज सबसे अंत में चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में दोपहर 2:15 बजे व सुन्नी जामा मस्जिद सौदागार मोहल्ला बसंतपुर में दोपहर 2:30 बजे अदा की जाएगी। गुरुवार को 28वां रोजा अल्लाह की इबादत में बीता। शबे कद्र की अंतिम ताक रात में खूब इबादत हुई। रमज़ान के बचे रोजों में अल्लाह के बंदों की इबादत बढ़ गई है। रोजेदारों की इबादत में कोई कमी नहीं है। सुबह-शाम कुरआन-ए-पाक की तिलावत हो रही है। रोजेदार जहन्नम से आजादी की दुआ मांग रहे है। तरावीह की नमाज पढ़ी अदा की जा रही है। ईद का बाजार लोगों से भरा हुआ है। महिलाएं अपनी जिम्मेदारियों का मुस्तैदी से निर्वहन कर रही हैं।
नायब काजी मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी ने कहा कि रमज़ान के महीने के आखिरी जुमा को अलविदा या जुमातुल विदा भी कहते हैं। यूं तो इस माह के हर दिन की अहमियत है, लेकिन जुमा को और दिनों का सरदार कहा जाता है इसलिए इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। इसे छोटी ईद या हफ्ते की ईद भी कहा जाता है। रमज़ान के आखिरी जुमा की नमाज से रमज़ान के समापन का संदेश मिलता है। ईद के आने की खुशी जहां लोगों में होती है, वहीं इस रहमत भरे महीने के जाने का गम भी होता है। अलविदा के माने रुखसत करना है। अलविदा रमज़ान के आखिरी जुमा को कहते है। इसके बाद रमज़ान में कोई दूसरा जुमा नहीं आता है, इसलिए अलविदा कहा जाता है। मुफ्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन मन्नानी ने बताया कि कुरआन-ए-पाक में अल्लाह तआला फरमाता है, रोजों की गिनती पूरी करो और अल्लाह की बड़ाई बोलो कि उसने तुम्हें हिदायत फरमाई। हदीस में है जब पैग़ंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मदीने में तशरीफ लाए उस जमाने में अहले मदीना साल में दो दिन खुशी करते थे महरगान व नौरोज। पैगंबरे इस्लाम ने फरमाया यह क्या दिन है? लोगों ने अर्ज किया कि जाहिलियत में हम इन दिनों में खुशी करते थे। पैगंबरे इस्लाम ने फरमाया अल्लाह तआला ने उनके बदले में इनसे बेहतर दो दिन तुम्हें दिए हैं ईद-उल-फित्र व ईद-उल-अज़हा।