
गोरखपुर। ईद-उल-फित्र की नमाज के लिए ईदगाहों व मस्जिदों में तैयारियां पूरी हो गई है। रंग-रोगन व साफ-सफाई हो चुकी है। कमेटियों ने शामियाना, दरी, चटाई, टोपी, पानी वगैरा की व्यवस्था की है। भारी भीड़ की वजह से ईदगाह सेहरा बाले का मैदान बहरामपुर में दो बार (सुबह 8:30 व 9:30 बजे) ईद की नमाज अदा की जाएगी। कई मस्जिदों में भी ईद की नमाज दो बार होगी। कारी मोहम्मद अनस रज़वी ने बताया कि ईदगाह मुसलमानों के दो सबसे बड़े त्योहार ईद-उल-फित्र और ईद-उल-अज़हा की खुशी मनाने के लिए है। यहीं पर दो रकात नमाज अदा कर बंदे अल्लाह का शुक्र अदा करते हैं और खुशियां मनाते हैं। ईदगाह का अर्थ होता है खुशी की जगह या खुशी का समय। यह ऐसी जगह है जहां पर बंदे दो रकात नमाज पढ़कर अल्लाह का शुक्र अदा करते हैं। जब बंदा 29 दिन या 30 दिन का रोजा पूरा कर लेता है तो अल्लाह तआला उसे खुशी मनाने का हुक्म देता है।
हाफिज रहमत अली निजामी ने बताया कि ईदगाह में ईद की नमाज अदा करना पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम व सहाबा किराम की सुन्नत है। इसलिए कोशिश रहे ईद की नमाज ईदगाह में ही अदा करें। ईदगाह दो ईदों के लिए ही बनाई गई है। ईद-उल-फित्र की नमाज के लिए जाते हुए रास्ते में अाहिस्ता से तकबीरे तशरीक ‘अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, ला इलाहा इल्लल्लाह। वल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, व लिल्लाहिल हम्द’ पढ़ी जाएगी। नमाज ईदगाह में जाकर पढ़ना और रास्ता बदल कर आना, पैदल जाना और रास्ते में तकबीरे तशरीक पढ़ना सुन्नत है। पैगंबरे इस्लाम ईद-उल-फित्र के दिन कुछ खाकर नमाज के लिए तशरीफ ले जाते। ईद को एक रास्ते से तशरीफ ले जाते और दूसरे से वापस होते।