उत्तर प्रदेशलखनऊ

कभी गरीबों के मसीहा थे संजय शेरपुरिया, गिरफ्तारी से सभी हैं हतप्रभ

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने संजय राय शेरपुरिया को मंगलवार की देर रात गिरफ्तार कर लिया है। उनकी गिरफ्तारी को लेकर लोग हतप्रभ हैं। अपने क्षेत्र में उनका नाम एक मसीहा के रूप में ही जाना गया। वह भी अन्ना आंदोलन की तरह ही एक आंधी के समान कोरोना काल में गाजीपुर आए थे। लोगों की सहायता के लिए आगे हाथ बढ़ाया और अपने टाइटल के आगे अपने गांव का नाम भी जोड़ लिया। अब जब एसटीएफ ने उन्हें दबोचा तो परिचित भी उनसे दूरी बनाने लगे हैं।

सूत्रों की मानें तो संजय शेरपुरिया का संबंध सभी राजनीतिक दलों के प्रभावी तथा धनाढ्य मंत्रियों व विधायकों से रहा है। इन्हीं संबंधों के जरिये शेरपुरिया लोगों को अपने जाल में फंसाकर धनउगाही करता था।

उल्लेखनीय है कि कोरोना के समय संजय राय शेरपुरिया अचानक से गाजीपुर में प्रकट हुए। कोविड के दौरान शेरपुरिया ने ऑक्सीजन, खाद्य सामग्री के साथ ही कोरोना के शिकार हुए मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी बैंक खोले और मृतकों के परिजनों को लकड़ी भी मुहैया कराया।

उसके पूर्व उत्तर प्रदेश के एक कैबिनेट मंत्री का पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के अंतिम छोर पर हैदरिया में कार्यक्रम था। उस कार्यक्रम में संजय राय शेरपुरिया भी पहुंचे थे। उस समय तक गाजीपुर में ये चर्चित नाम नहीं था, लेकिन जिस तरह से मंत्री ने संजय शेरपुरिया को गले लगाकर स्वागत किया, वहीं से ये गाजीपुर के लोगों में चर्चित हो गये।

इसके बाद इन्होंने गाजीपुर मुख्यालय पर ही कुछ दिनों में अपना आवास बना लिया। वहां से संजय ने दुकानदारों के लिए एक ठेलिया बनवाया, जिसका ऐसा माॅडल था कि सब्जी रखने पर भी वह जल्द खराब नहीं होगी। उसको उन्होंने गरीबों में बांटना शुरू किया। इसके बाद तरह-तरह की योजनाओं को संजय राय शेरपुरिया ने शुरू कराया और कुछ ही समय में उनका नाम गाजीपुर के लोगों में लोकप्रिय हो गया। सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर रुचि और सहयोग को लेकर धीरे-धीरे संजय चर्चा के केंद्र बिंदु में आ गये।

बीते दिनों अपने पिता की याद में गांव शेरपुर में एक किलोमीटर की सड़क अपने पैसे से बनवा दी। वह भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया। हकीकत कुछ भी हो लेकिन अब उनकी गिरफ्तारी के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। उनमें सबसे बड़ा संजय राय शेरपुरिया का उप्र की सत्तासीन सरकार में कई दिग्गज नेताओं के साथ संपर्क और करीबी का है। चर्चा उठ रही है कि वो लोगों को इसका झांसा भी देते रहे हैं।

इस रसूख की दम पर बहुत लोगों के काम भी कराए जाने के आरोप भी उठ रहे हैं। इसके अलावा संजय राय शेरपुरिया गरीबों की सेवा भाव के लिए भी जाने जाते रहे, लेकिन आज उनकी गिरफ्तारी के बाद लोग हतप्रभ हैं। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इन्होंने कहां कितना और कैसा घोटाला किया है।

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