
बहराइच। प्रदेश में राम राज्य की संकल्पना के साथ सबका साथ सबका विकास की तर्ज पर उपलब्धियों की लम्बी चौड़ी फेहरिस्त प्रस्तुत की जा रही है, वहीं प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को नवजीवन देने वाला शिक्षामित्र आज प्रतिदिन, प्रतिक्षण निराशा, अवसाद एवं द्वंद्व में जीवन जीने को विवश है। शिक्षामित्रों का उद्भव कल्याण सिंह के शासन काल में हुआ था।लगभग बीस वर्षों से बेसिक शिक्षा में अल्प मानदेय पर योगदान दे रहे शिक्षामित्रों के सेवा काल में तमाम उतार चढ़ाव आये। मौजूदा सरकार द्वारा आश्वासनों का दौर भी चला लेकिन आज तक शिक्षामित्रों का कोई स्थाई समाधान नहीं हो सका। प्राथमिक विद्यालयों की दशा एवं दिशा को बचाने का कार्य शिक्षामित्रों ने उस समय किया जब शिक्षकों की कमी थी, और 90 प्रतिशत विद्यालयों में ताले लटक रहे थे। लेकिन आज उनका अस्तित्व खतरे में है।
समान कार्य, समान वेतन, जैसे न्यायालय के आदेश शिक्षामित्रों पर लागू नही होते ये नीति नियंताओं के अपने अलग निर्धारण हैं। परिणाम स्वरूप हजारों की संख्या में शिक्षामित्र काल के गाल में समा चुके हैं। नये शैक्षिक सत्र में विद्यालय 15 जून से संचालित होने का आदेश है। जबकि उक्त दिवस का मानदेय शिक्षामित्रों को नहीं मिलना है। मानदेय न मिलने के कारण शिक्षामित्र जून माह में अपने जीवन यापन को कैसे सुरक्षित रखते हुए नये शैक्षणिक सत्र में अपने को विद्यालयों में स्थापित करते हुए शिक्षण कार्य करेंगे, इसके बारे में किसी ने सोंचने की जहमत नही उठायी। ऐसे में शिक्षामित्रों के लिए माह जून में दो जून की रोटी भी नहीं नसीब हो रही है।
सरकार की तरफ से यह बहुत बड़ी चूक है। जिस पर सरकार को गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। क्षेत्र भ्रमण पर निकले उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के ज़िला प्रवक्ता डॉक्टर अनवारूल रहमान खान ने ब्लाक नवाबगंज के कस्बा बाबागंज में, मित्र मो. असरार सिद्दीकी के निवास पर संघ के पदाधिकारियों के साथ एक बैठक को सम्बोधित करते हुये कहा कि, हम शिक्षा मित्रों को जून माह का कोई मानदेय नहीं मिलता है और जो महीनो का मानदेय मिलता है, उसमें भी आज की महंगाई के जमाने में कुछ नही होता। छुट्टियों में शिक्षा मित्र कोई और मेहनत मज़दूरी कर घर का खर्च चलाने को मजबूर हो जाता है।
ऐसे में अधिकारियों द्वारा बिना मतलब आदेश जारी कर शिक्षा मित्रों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का काम किया जा रहा है, जो संघ बर्दाश्त नहीं करेगा, और यदि कोई ऊँच नीच हो जाता है, तो उसकी ज़िम्मेदारी विभाग की, और ज़िले के अधिकारियों की हो, वैसे भी प्रदेश में विगत तीन वर्षों में 8 हजार से ऊपर शिक्षा मित्र आस्वाद तंगी व भुखमरी के करण मौत को गले लगा चुके हैं। उक्त बैठक में मो. सलीम, दिनेश कुमार, युगल किशोर, चन्दी लाल, पवन कुमार वर्मा, पप्पू यादव, मो. इलियास, यास्मीन बानो, हुस्ना बेगम, अशोक कुमार मित्तल, मतलूब अहमद, नन्द राम, त्रिभुवन प्रसाद, विश्वनाथ आर्य, कैलाश नाथ आर्य आदि शिक्षा मित्र उपस्थित रहे।