
लखनऊ। यूपी के स्पेशल टास्क फोर्स ने एक महिला को 100 करोंड़ की ठगी के आरोप में गिरफ्तार किया है। महिला से पूछताछ जारी है। बताया जा रहा है कि महिला उस गिरोह की सदस्य है, जिस गिरोह ने सैंकड़ों लोगों को अपना निशाना बनाया और अरबों की ठगी कर डाली। एसटीएफ की गिरफ्त में आई महिला का नाम नीलम वर्मा बताया जा रहा है।
दरअसल, एसटीएफ लंबे समय से मल्टीलेवल मार्केटिंग के माध्यम से जनता से अरबों रूपये की ठगी करने वाले संगठित गिरोह के पीछे लगी हुई थी। जानकारी मिलते ही पुलिस उपाधीक्षक एसटीएफ लाल प्रताप सिंह ने लखनऊ टीम को कार्रवाई के निर्देश दिये। जिसके बाद हैलोराइड लिमिटेड, इनफिनिटी वर्ड इफ्रावेंचर लिमिटेड व ओजोन इनफिनिटी वर्ड एग्रो प्रोड्यूसर लिमिटेड नाम की कम्पनियां बनाकर जनता से अरबों रूपये की ठगी करने वाले कम्पनियों की डायरेक्टर नीलम वर्मा को एसटीएफ की लखनऊ टीम ने मानक नगर इलाके से धरदबोचा। बताया जा रहा है कि इस पूरे खेल की मास्टरमाइंड नीलम वार्म पर करीब 23 मुकदमें दर्ज है। पुलिस को इस महिला की चार साल से तलाश थी ।
पूछताछ मे आरोपित नीलम वर्मा ने बताया कि अभय कुशवाहा ने साल 2013 मे इनफिनिटी वर्ड इफ्रावेंचर लि. कम्पनी बनायी थी, जो रियल स्टेट मे काम करती थी, इस कम्पनी मे सस्ते प्लाट देने के नाम पर किस्त के रूप मे रूपया जमा किया जाता था। इस कम्पनी के डायरेक्टर अभय कुशवाहा, राजेश पाण्डेय, निखिल कुशवाहा, आजम सिद्दीकी व शकील अहमद खान थे। जिसमे नीलम वर्मा भी डायरेक्टर थी।
आरोपित के मुताबिक उसने और उसके साथ के लोगों ने साल 2017 मे ओजोन इनफिनिटी वर्ड एग्रो प्रोड्यूसर लि. नाम की कम्पनी बनायी। इस कम्पनी मे नीलम वर्मा, अभय कुशवाहा, राजेश पाण्डेय, निखिल कुशवाहा, आजम सिद्दीकी व शकील अहमद खान डायरेक्टर थे, यह कम्पनी कम समय मे धन दोगुना करने का लालच देकर लोगों से रूपया जमा कराती थी, इसके बाद आरोपितों ने ने वर्ष 2018 में हैलोराइड लि. नामक कम्पनी बनायी जिसमे नीलम वर्मा, अभय कुशवाहा, राजेश पाण्डेय, निखिल कुशवाहा, आजम सिद्दीकी व शकील अहमद खान डायरेक्टर थे, इसका आफिस साइबर हाइट्स विभूति खण्ड मे आठवे तल पर था, यह कम्पनी बाइक टैक्सी चलाने के नाम पर ग्राहकों से 61,000/- रूपये जमा करने के बदले प्रति माह 9,582/- रू 12 माह तक देने का प्रलोभन देकर रूपया जमा कराती थी।
कम्पनी मे रूपया जमा कराने के लिए सात टीमे बनायी गयी थी, इन टीमों के लगभग 150 लोग काम करते थे, जिसमे प्रेसिडेंट अपनी टीमों के माध्यम से रूपया जमा करते थे, जिसका उनको लगभग 15 प्रतिशत कमीशन दिया जाता था। इस कम्पनी मे नीलम वर्मा ग्राहकों से एग्रीमेंट करने का काम करती थी। इन कम्पनियों मे जब लगभग 100 करोड़ रूपये जमा हो गया, तो कम्पनी ने ग्राहकों को पेमेंट देना बंद कर दिया, जिसके कारण किसी ग्राहक ने थाना विभूतिखण्ड मे मुकदमा पंजीकृत करा दिया। जिससे अभय कुशवाहा को मार्च 2019 मे विभूतिखण्ड पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जेल मे लगभग 3 महीने रहने के बाद अभय कुशवाहा की जमानत हो गयी। कुछ समय बाद पुनः अभय कुशवाहा जेल चला गया, जो वर्तमान समय में जेल में बंद है। साल 2019 से अब तक कम्पनी पर सैकड़ों मुकदमे पंजीकृत हो गये, तब से नीलम वर्मा फरार थी। कम्पनी के आफिस लखनऊ, फतेहपुर, नोएडा , मुजफ्फरपुर (बिहार), मोहाली, पठानकोट, जीरकपुर (पंजाब) समेत कई जगहों पर बताये जा रहे हैं।
गिरफ्तार करने वाली टीम
इंस्पेक्टर अंजनी कुमार तिवारी, विनोद सिंह, प्रभाकर पाण्डेय, रणधीर सिंह, गौरव सिंह, प्रशान्त सिंह, शेरबहादुर