
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जब पुणे में एक महत्वपूर्ण टनल परियोजना का निरीक्षण करने जा रहे थे, तो उन्हें एक ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा जिसने सबको हैरान कर दिया। गडकरी जिस रूट से गुजर रहे थे, वहां भारी ट्रैफिक जाम था, और घंटों तक गाड़ियाँ रेंगती रहीं। ट्रैफिक व्यवस्था की विफलता के चलते गडकरी को बीच रास्ते से ही अपना दौरा रद्द करना पड़ा। यह वाकया न सिर्फ प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि शहरों में बढ़ते यातायात को लेकर तत्काल और ठोस समाधान की आवश्यकता है। खुद सड़क विकास के बड़े योजनाओं के प्रमुख मंत्री के साथ ऐसा होना एक गंभीर संकेत माना जा रहा है।
यह पूरी घटना उस समय हुई जब गडकरी महाराष्ट्र के पुणे जिले में एक महत्वाकांक्षी सुरंग परियोजना (टनल प्रोजेक्ट) का स्थल निरीक्षण करने जा रहे थे। उनके साथ स्थानीय प्रशासन और एनएचएआई (NHAI) के अधिकारी भी मौजूद थे। लेकिन जैसे ही उनका काफिला शहर के खेड शिवापुर टोल प्लाजा के पास पहुंचा, उन्हें लगभग 2 किलोमीटर लंबे जाम में फंसना पड़ा, जिससे कार्यक्रम में देरी होती गई।
काफी इंतजार के बाद जब हालात नहीं सुधरे तो केंद्रीय मंत्री ने मौके पर ही दौरा रद्द करने का फैसला लिया। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि जब देश के सड़क मंत्री को ही ट्रैफिक में फंसना पड़े, तो आम लोगों की स्थिति क्या होती होगी। यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और लोगों ने ट्रैफिक व्यवस्था की कड़ी आलोचना की।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना केवल एक व्यक्ति के फंसने की नहीं है, बल्कि यह शहरी यातायात की असफल योजना और अव्यवस्था का बड़ा उदाहरण है। पुणे जैसे तेजी से बढ़ते शहरों में ट्रैफिक कंट्रोल के लिए स्मार्ट तकनीकों, बेहतर सार्वजनिक परिवहन और स्पष्ट ट्रैफिक नियमों की सख्त जरूरत है।
टनल परियोजना, जिसे देखने गडकरी जा रहे थे, पुणे और कोंकण को जोड़ने वाली एक रणनीतिक कनेक्टिविटी का हिस्सा है। यह सुरंग सड़क यातायात को तेज, सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए प्रस्तावित की गई है, जिससे भारी वाहनों को पहाड़ी इलाकों से गुजरने में आसानी हो सके। अब इस दौरे की नई तारीख जल्द तय की जा सकती है।