मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कुछ वित्तीय ऐप पर पाबंदी लगाए जाने के पहले सरकार को पंजीकृत गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (एनबीएफसी) के साथ जुड़े ऐप की सूची सौंपी थी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने यहां संवाददाताओं को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने एनबीएफसी से जुड़े ऐप की सूची सरकार को सौंपी है। उस आधार पर सरकार ने यह कदम उठाया है।’’ सरकार ने सप्ताह की शुरुआत में 94 ऐसे ऐप को प्रतिबंधित कर दिया जो ऑनलाइन कर्ज देने के कारोबार से जुड़े हुए हैं। इनमें कुछ ऐसे ऐप भी हैं जो अनुचित तरीके से कर्ज देने और कर्जदारों को कर्ज जाल में फंसाने के आरोपों का सामना कर रहे हैं। इनमें लेजिपे और किश्त जैसे ऐप भी शामिल हैं जो ‘अभी खरीदो, बाद में चुकाओ’ (बीएनपीएल) श्रेणी में कारोबार करते हैं।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक के पास पंजीकृत एनबीएफसी से उन मोबाइल ऐप्लिकेशन की सूची मांगी थी जिनके साथ वे ऑनलाइन कर्ज वितरण में लगी हुई हैं। इस सूची को बाद में सरकार के पास भेजा गया। दास ने कहा, ‘‘ऐसा कदम कई गैरकानूनी एवं अवैध ऐप की मौजूदगी के कारण उठाया गया जो किसी एनबीएफसी की तरफ से नियुक्त न होने पर भी कर्ज बांटने के संदेश मोबाइल पर भेजते रहते हैं।’’
हालांकि, डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा कि आरबीआई ने सरकार को डिजिटल कर्ज देने वाले किसी भी ऐप पर पाबंदी लगाने की सलाह नहीं दी थी। उन्होंने कहा, ‘‘इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने प्रतिबंधित ऐप को प्लेस्टोर से हटाने का भी अनुरोध किया है।’’