खेती-किसानी

हजारों किसानों के लिए वरदान है लतरातू जलाशय

  • सैलानियों के आकर्षण का केंद्र भी

खूंटी। खूंटी जिला ही नहीं झारखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शुमार लतरातू डैम न सिर्फ सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है, बल्कि हजारों लोगों के लिए जीवनदायी भी है। लतरातू डैम से निकलने वाली दोनों नहरें उस क्षेत्र के रहने वाले दर्जनों गांव के किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं। 41 किलोमीटर लंबी इस नहर से लगभग 13000 एकड़ खेत की सिंचाई होती है। बायीं और दायीं दोनों मुख्य नहरों से लघु नहर डिस्ट्रब्यूट्री और आउटलेट द्वारा पानी खेतों तक सिंचाई के लिए पहुंचाया जाता है। यहां के किसान नहर से मिलने वाले पानी से साल में दो बार धान की खेती कर लेते हैं। इसके साथ ही भिंडी, लौकी, तरबूज, टमाटर, झींगा सहित अन्य सब्जियों की खेती भी किसान बड़ी मात्रा में करते हैं। लतरातू, ब्लान्दु, सरसा, नवाटोली, दरन्दा, देवगांव, डुरू, तिगरा, ककरिया,चम्पाडीह, अकोरोमा, कारूम, पोकटा, कांदरकेल, तस्की, डुमरगड़ी, मानपुर, सिलमा, बिरदा, गुनगुनिया, बुढ़ीरोमा, झपरा, कातारटोली, सरदुल्ला, कसिरा, बमरजा, सरसा, दोदगो, कुंबाटोली सहित दर्जनों गांव के हजारों किसान लतरातू डैम के पानी से सालों पर खेती करते हैं।

साल में दो बार होती है धान की खेती

जिन क्षेत्रों से लतरातू डैम की नहर गुजरती है, वहां इन दिनों गरमा धान की रोपनी का काम जोरों पर है। इन गांवों के किसानों अहले सुबह उठकर हल-बैल के साथ खेत पहुंच जाते हैं। पुरुष खेतों की जुताई-कोड़ाई कर खेत तैयार करते हैं, तो महिलाएं सुबह उठकर खाना बनाने के बाद पूरे परिवार के लिए खाना लेकर खेत पहुंच जाती हैं और बिचडा़ उखाड़ने के बाद रोपनी का काम करती हैं। दिन भर काम करने के बाद शाम ढलने के बाद ही वे घर लौटती हैं।

गरमा धान की खेती से उपज और मुनाफा दोनों

किसान बताते हैं कि गरमा धान की खेती से उपज और मुनाफा दोनों अधिक है। गरमा धान से वे साल भर गुजारा कर लेते हैं। उनका कहना है कि गरमी के दिनों में खेती होने के कारण फसलों में बीमारी नहीं के बराबर होती है। बरसात के दिनों में धान की खेती करने से बीमारियों का खतरा अधिक होता है। कई तरह के कीटनाशक दवाओं और रासायनिक खाद का प्रयोग करना पड़ता है और इसमें लागत भी अधिक लगती है। साथ ही रासायनिक खादों के प्रयोग का प्रभाव कहीं न कहीं हमारे शरीर पर पड़ता है। किसान कहते हैं कि लतरातू डैम सही मायने में उनके लिए वरदान है। नहर होने के कारण उन्हें सिंचाई की सुविधा मिल जाती है। पहले सिंचाई के अभाव में वे खेती नहीं हो पाते थे। इसके कारण उनके पास भूखों मरने की नौबत आ जाती थी। लतरातू नहर किसानों की आर्थिक स्थिति के साथ ही उनकी किस्मत भी बदल रही है।

बेटिंग के लिए दूर-दूर से आते हैं सैलानी

लतरातू डैम हाल के दिनों में खूंटी जिले के एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में उभरा है। खूंटी जिला प्रशासन लतरातू जलाशय को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए लगातार काम कर रहा है। यहां बोटिंग करने के लिए दूर-दूर से सैलानी अपने परिवार और मित्रों के साथ आते हैं। फिलहाल जिला प्रशासन ने डैम में पांच मोटर बोट और पांच पैडल बोट उपलब्ध कराये हैं। बोट चलाने के लिए गांव के लोगों को ही जिला प्रशासन द्वारा प्रशिक्षण दिया गया है। डैम के आसपास पर्यटन भवन, पार्क आदि को विकसित करने का काम किया जा रहा है।

युवाओं के लिए रोजगार का अवसर

लतरातू जलाशय के पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने से उस क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर मिल रहे हैं। वैसे तो लतरातू में सालों भर पर्यटकों का आवागमन होता रहता है, पर नवंबर से मार्च तक हर दिन हजारों सैलानी पिकनिक मनाने और बोटिंग का आनंद लेने पहुंचते हैं। अधिक लोगों के लतरातू पहंचने से लोगों को व्यवसाय का अवसर भी मिल रहा है और इससे उनके जीवन स्तर में लगातार सुधार हो रहा है।

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