झारखंड इस वक्त बड़े सियासी संकट से जूझ रहा है। कथित जमीन घोटाला मामले में राज्य के सीएम हेमंत सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। हेमंत सोरेन ने बीती रात राज्यपाल को अपना इस्तीफा भी सौंप दिया है। हेमंत के इस्तीफे के बाद चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुना गया है। हालांकि, ये पहली बार नहीं है कि झारखंड के सीएम पद पर रहे नेता गिरफ्तार रहे हो। गौर करने वाली बात है कि झारखंड के निर्माण के बाद अब तक कुल 6 सीएम हुए हैं। इनमें से 3 को अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया जा चुका है। इसके अलावा राज्य में तीन बार राष्ट्रपति शासन भी लग चुका है। आइए जानते हैं पूरा मामला।
शिबू सोरेन भी गए थे जेल
हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन साल 2005 में 10 दिनों के लिए, 2008 से 2009 तक और 2009 से 2010 तक झारखंड के सीएम का पद संभाल चुके हैं। 1994 में निजी सचिव शशि नाथ झा के अपहरण और हत्या मामले में दिल्ली की एक अदालत ने साल 2006 में शिबू सोरेन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हालांकि, 2007 में दिल्ली हाईकोर्ट ने ठोस सबूत न होने के कारण बरी कर दिया। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा। इसके अलावा साल 2004 में जामताड़ा उप-विभागीय न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने शिबू सोरेन के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। इस कारण सोरेन को 24 जुलाई 2004 को मनमोहन सरकार में केंद्रीय कोयला मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि, मार्च 2008 में फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने सोरेन को सबूतों की कमी का हवाला देते हुए बरी कर दिया था।
मधु कोड़ा का किस्सा
मधु कोड़ा साल 2006 से 2008 के बीच झारखंड के सीएम थे। सीएम रहते हुए उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के साथ-साथ आय से अधिक संपत्ति जमा करने के भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ा था। कोड़ा पर माइनिंग घोटाले में शामिल होने और 4,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई करने का आरोप लगा। साल 2009 में कोड़ा गिरफ्तार हुए और 2013 में रिहा किए गए। इसके बाद साल 2017 में उन्हें दोषी ठहराया गया जिसमें 3 साल की सजा और 25 लाख का जुर्माना लगाया गया।
ये सीएम नहीं गए जेल
15 नवंबर साल 2000 को झारखंड एक राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। इसके बाद से अब तक 6 नेताओं ने यहां सीएम का पद संभाला। इनमें से केवल रघुवर दास अब तक 5 साल का कार्यकाल पूरा कर सके हैं। 6 सीएम में से बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा और रघुवर दास ही ऐसे सीएम रहे जिन्हें जेल नहीं जाना पड़ा।