
सीजफायर समझौते के कुछ ही दिनों बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री के तेवर अचानक बदलते नजर आ रहे हैं। हालिया बयान में उन्होंने कहा, “भारत के साथ बातचीत करनी ही होगी, क्योंकि क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए संवाद जरूरी है।”
यह बयान ऐसे समय आया है जब सीमा पर हालात शांत हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच राजनयिक संवाद ठप पड़ा हुआ है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह पाकिस्तान की एक रणनीतिक चाल हो सकती है, खासकर जब उस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव और आर्थिक संकट दोनों मंडरा रहे हैं।
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विदेश मंत्री के इस नरम रुख से सवाल उठने लगे हैं कि क्या पाकिस्तान अब संवाद की मेज़ पर लौटना चाहता है, या यह सिर्फ छवि सुधारने की कोशिश है।
भारत की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह बयान दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय राजनीति में एक नए मोड़ की ओर इशारा कर सकता है।