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यूपी शिक्षक भर्ती मामले में HC के फैसले पर अनुप्रिया पटेल और राजभर ने मिलाया केशव मौर्य के हां में हां, जानिए मायावती ने क्या कहा

लखनऊः उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्णय पर विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा है। वहीं, सरकार में शामिल ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा ने कोर्ट फैसले का स्वागत किया है। ओपी राजभर के बेटे और सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर ने कहा कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में हाई कोर्ट के फैसले का उनकी पार्टी स्वागत करती है।

सुभासपा ने किया हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत

अरुण राजभर ने कहा कि यह बात खुद पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी माना था कि इस 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में आरक्षण नियमों का पालन नहीं हुआ है। अब हाई कोर्ट ने आरक्षण नियमों का पूर्ण पालन करते हुए नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया है। उम्मीद है कि पिछड़े दलित वंचित वर्ग को न्याय मिलेगा। जो बात हाई कोर्ट ने कहा है, सुभासपा भी हमेशा वही कहती आई है। ओपी राजभर ने इस मुद्दे को सदन से लेकर सड़क तक उठाया है। युवाओं को न्याय व उनका हक़ दिलाने के लिए लगातार लड़ाई जारी रहेगा।

अनुप्रिया पटेल ने भी हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया

वहीं, सरकार में शामिल अपना दल (एस) की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। अनुप्रिया ने कहा कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत है। खुद पिछड़ा वर्ग आयोग ने माना था कि इस भर्ती मामले में आरक्षण नियमों की अनदेखी हुई। अब जबकि न्यायालय ने आरक्षण नियमों का पूर्ण पालन करते हुए नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया है, तब उम्मीद करती हूं कि वंचित वर्ग के प्रति न्याय होगा। जो माननीय उच्च न्यायालय ने कहा है, मैंने भी हमेशा वही कहा है।

केशव प्रसाद मौर्य ने किया कोर्ट के फैसले का स्वागत

इससे पहले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि शिक्षकों की भर्ती में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फ़ैसला सामाजिक न्याय की दिशा में स्वागत योग्य कदम है। यह उन पिछड़ा व दलित वर्ग के पात्रों की जीत है जिन्होंने अपने अधिकार के लिए लंबा संघर्ष किया। उनका मैं तहेदिल से स्वागत करता हूं।

मायावती ने कहा- सरकार ने ईमानदारी से काम नहीं किया

वहीं, बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि सरकार ने अपना काम निष्पक्ष व ईमानदारी से नहीं किया। मायावती ने कहा कि यूपी में सन 2019 में चयनित 69,000 शिक्षक अभ्यर्थियों की चयन सूची को रद्द कर तीन महीने के अन्दर नई सूची बनाने के हाईकोर्ट के फैसले से साबित है कि सरकार ने अपना काम निष्पक्षता व ईमानदारी से नहीं किया है। इस मामले में खासकर आरक्षण वर्ग के पीड़ितों को न्याय मिलना सुनिश्चित हो।

उन्होंने कहा, वैसे भी सरकारी नौकरियों की भर्तियों में पेपर लीक आदि के मामले में यूपी सरकार का रिकार्ड भी पाक-साफ नहीं होने पर यह काफी चर्चाओं में रहा है। अब सहायक शिक्षकों की सही बहाली नहीं होने से शिक्षा व्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ना स्वाभाविक है। सरकार इस ओर जरूर ध्यान दे।

अखिलेश यादव ने भी सरकार पर लगाया गंभीर

69 हजार शिक्षक भर्ती पर कोर्ट के आदेश पर अखिलेश यादव ने शनिवार को कहा कि ये लड़ाई बहुत लंबी लड़ी है। मैं कोर्ट का धन्यवाद देता हूं। सरकार को भी अधिकारों को नहीं छीनना चाहिए। ये अधिकार संविधान से मिला है। पिछड़े 3 महीनों में अपने संघर्ष में कामयाब होंगे।

इससे पहले सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि 69000 शिक्षक भर्ती भी आखिरकार भाजपाई घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार की शिकार साबित हुई। यही हमारी मांग है कि नये सिरे से न्यायपूर्ण नयी सूची बने, जिससे पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्तियां संभव हो सके और प्रदेश में भाजपा काल में बाधित हुई शिक्षा-व्यवस्था पुनः पटरी पर आ सके। हम नयी सूची पर लगातार निगाह रखेंगे और किसी भी अभ्यर्थी के साथ कोई हकमारी या नाइंसाफ़ी न हो, ये सुनिश्चित करवाने में कंधे-से-कंधा मिलाकर अभ्यर्थियों का साथ निभाएँगे। यह अभ्यर्थियों की संयुक्त शक्ति की जीत है। सभी को इस संघर्ष में मिली जीत की बधाई और नव नियुक्तियों की शुभकामनाएं।

जानें पूरा मामला

बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 2019 में हुई 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों की सूची नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने 1 जून 2020 और 5 जनवरी 2022 की चयन सूचियां को दरकिनार कर नियमों के तहत तीन माह में नई चयन सूची बनाने के निर्देश दिए। कोर्ट के इस फैसले से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है। वहीं पिछली सूची के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों की सेवा पर भी संकट खड़ा हो गया है।

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