
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस नेत्री ने एक रिट याचिका दायर की है। जिसमें दिसंबर 2023 में लागू नए कानून के बजाय सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसले (अनूप बरनवाल’ मामले में संविधान पीठ के निर्देश) के अनुसार चुनाव आयुक्तों की नियुक्त की गुहार लगाई है। जिसमें चुनाव आयुक्त का चयन तीन सदस्यीय कमेटी सीजेआई, प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता द्वारा किया जाना चाहिए।
दरअसल, भारत निर्वाचन आयोग के एक चुनाव आयुक्त का फरवरी में कार्यकाल पूरा हो चुका है, तो वहीं दूसरे चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने 9 मार्च को पद से इस्तीफा दे दिया है। जिसके बाद भारत निर्वाचन आयोग में दो चुनाव आयुक्त की आगामी चुनाव से पहले नियुक्त की जानी है।
कांग्रेस नेत्री जया ठाकुर की ओर से दायर याचिका में लोकसभा चुनावों के मद्देनजर दिसंबर 2023 में लागू नए कानून के प्रावधानों के अनुसार दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति नहीं करने का निर्देश केंद्र सरकार को देने की अपील की गई है। याचिका में कहा गया है कि नया कानून स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांतों के खिलाफ है।
इसके अलावा यह ‘अनूप बरनवाल बनाम भारत संघ’ मामले में शीर्ष कोर्ट की ओर से निर्धारित सिद्धांतों के विपरीत है। याचिका में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर चुनाव आयुक्तों की तत्काल नियुक्ति की आवश्यकता है। शीर्ष अदालत की संविधान पीठ ने 2 मार्च 2023 को कहा था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक पैनल की सलाह पर की जाएगी।
इस पैनल में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे। पिछले साल दिसंबर में संसद से पारित नए कानून में शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश की जगह एक केंद्रीय मंत्री को पैनल में रखने का प्रावधान है। बता दें कि चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने 9 मार्च 2024 को इस्तीफा दे दिया और उससे पहले एक अन्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल फरवरी में पूरा हो गया था। अब जल्द ही केंद्र सरकार 15 मार्च तक दो आयुक्तों की नियुक्ति कर सकती है।