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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 14 साल की रेप पीड़िता को 30 हफ्ते का गर्भ गिराने की दी इजाजत

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक बड़ा फैसला सुनाया। रेप पीड़िता के गर्भपात के मामले में सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने कहा कि 14 साल की रेप पीड़िता का गर्भपात होगा। कोर्ट ने 14 वर्षीय रेप पीड़िता को 30वें हफ्ते में गर्भ गिराने की इजाजत दे दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि ये रेप का मामला है। साथ ही पीड़िता 14 साल की है। इस असाधारण मामले को देखते हुए गर्भपात की इजाजत दी जाती है।

मेडिकल जांच का आदेश 

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल को 14 वर्षीय कथित रेप पीड़िता की मेडिकल जांच का आदेश दिया था। पीड़िता ने अपनी 28 सप्ताह के गर्भ को गिराने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ रेप पीड़िता की ओर से तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की मांग को लेकर भेजे गए एक ई-मेल पर गौर करने के बाद मामले की तत्काल सुनवाई के लिए 19 अप्रैल शाम करीब 4:30 बजे एकत्र हुई।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने मामले में सरकार का प्रतिनिधित्व किया। अगर पीड़िता चिकित्सीय गर्भपात कराती है या उसे ऐसा नहीं करने की सलाह दी जाती, तो ऐसे में लड़की की संभावित शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति क्या होगी, इस बारे में अदालत ने मुंबई के सायन अस्पताल से रिपोर्ट मांगी थी।

28 सप्ताह की गर्भवती

लड़की की मां की ओर से दायर याचिका पर शीर्ष अदालत ने सुनवाई की, जिसमें बॉम्बे हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में पेश वकील ने कहा था कि नाबालिग 28 सप्ताह की गर्भवती है और फिलहाल मुंबई में है।

क्या है एमटीपी अधिनियम?

बता दें कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) अधिनियम के तहत, विवाहित महिलाओं के साथ-साथ विशेष श्रेणियों की महिलाओं के लिए गर्भावस्था को समाप्त करने की अधिकतम सीमा 24 सप्ताह है। इनमें रेप पीड़िता और अन्य कमजोर महिलाएं जैसे कि विकलांग और नाबालिग शामिल हैं।

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