सीबीआई ने सोमवार को यस बैंक के पूर्व मुख्य कार्यकारी एवं प्रबंध निदेशक राणा कपूर और अवंता ग्रुप के प्रवर्तक गौतम थापर के खिलाफ 466.51 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के मामले में चार्जशीट दायर की है। उन पर धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप है।
गत वर्ष दो जून की एफआईआर में नहीं था नाम अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल दो जून को दर्ज की गई प्राथमिकी में कपूर का नाम संदिग्ध के रूप में नहीं था, लेकिन जांच के दौरान घोटाले में उनकी भूमिका सामने आई थी। एजेंसी ने मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत में दायर अपने आरोप पत्र में थापर और ऑयस्टर बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड (ओबीपीएल) को घोटाले में नामजद किया है।
सीवीओ की शिकायत पर दर्ज की गई थी एफआईआर तत्कालीन मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) आशीष विनोद जोशी से शिकायत मिलने के छह दिनों के भीतर सीबीआई ने पिछले साल दो जून को थापर, ओबीपीएल के निदेशकों रघुबीर कुमार शर्मा, राजेंद्र कुमार मंगल और तापसी महाजन, अवंता रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड तथा झाबुआ पावर लिमिटेड के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
15 महीने की जांच
लगभग 15 महीने की जांच के बाद एजेंसी ने आरोप पत्र प्रस्तुत किया था। केंद्रीय एजेंसी ने अब तक अज्ञात लोगों की बड़ी साजिश और भूमिका की तफ्तीश के लिए जांच को खुला रखा है। अधिकारियों ने कहा कि आरोप है कि आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और जनता के धन के इस्तेमाल के लिए 466.51 करोड़ की धांधली की गई। गौरतलब है कि राणा कपूर थापर के साथ एक अन्य मामले में भी सह-आरोपी हैं। यह मामला यस बैंक में दिल्ली के रिहायशी इलाके में संपत्ति के बदले सार्वजनिक धन के हेरफेर से जुड़ा है।
तलाशी में मिले थे सबूत
सीबीआई के मुताबिक, यह आरोप लगाया गया था कि आरोपी ने 2017-2019 की अवधि के दौरान आपराधिक विश्वासघात, धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और जनता के धन के दुरुपयोग, हेराफेरी के लिए जालसाजी की थी। सीबीआई ने कहा कि इससे पहले पांच जून, 2021 को आरोपी के आधिकारिक/आवासीय परिसरों सहित कई परिसरों में तलाशी ली गई थी, जिसमें कई दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य वगैरह बरामद हुए थे।
सेबी ने इसी माह दो करोड़ का जुर्माना लगाया था
बाजार नियामक सेबी ने सात सितंबर को राणा कपूर पर गलत तरीके से एटी-1 बॉन्ड बेचने पर 45 दिन के भीतर दो करोड़ रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया था। यह मामला बैंक के एटी-1 बॉन्ड को उसके अधिकारियों द्वारा निवेशकों को गलत तरीके से बेचने से जुड़ा है। आरोप है कि बैंक अधिकारियों ने निवेशकों को बॉन्ड बेचते समय इसमें शामिल जोखिम के बारे में नहीं बताया था। सेबी ने कहा था कि यस बैंक ने बॉन्ड बेचने के लिए भोलेभाले ग्राहकों को फंसाया।