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पैगंबर पर टिप्पणी: भारत ने दिया ओआईसी और पाकिस्तान को कड़ा जवाब

  • ओआईसी का बयान अनुचित और संकीर्ण मानसिकता वाला
  • दूसरों पर टिप्पणी से पहले अपने यहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे पाक
  • पैगंबर पर टिप्पणी के खिलाफ अबतक चार देश कर चुके भारतीय अधिकारियों को तलब, पांच देशों ने जारी किया वक्तव्य

नई दिल्ली। भारत ने अल्पसंख्यकों की स्थिति पर टिप्पणी करने वाले इस्लामी देशों के संगठन (ओआईसी) और पाकिस्तान को कड़ा जवाब दिया है। भारत ने ओआईसी के सचिवालय की ओर से दिए गए बयान को अनुचित और संकीर्ण मानसिकता वाला बताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि यह खेदजनक है कि ओआईसी सचिवालय ने फिर से उत्तेजित, भ्रामक और कपटपूर्ण टिप्पणी की है। यह केवल निहित स्वार्थों के इशारे पर अपनाए जा रहे विभाजनकारी एजेंडे को उजागर करती है। भारत इस्लामी देशों के संगठन से अपील करता है कि सांप्रदायिक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने से रोके और सभी धर्मों के प्रति उचित सम्मान दिखाए।

उल्लेखनीय है कि भाजपा नेताओं की ओर से पैगंबर मोहम्मद के प्रति कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी का इस्लामिक देशों में खासकर खाड़ी देशों में कड़ा विरोध जारी है। अब तक कतर, कुवैत, ईरान और पाकिस्तान मामले पर भारतीय दूतावास के शीर्ष अधिकारी को तलब कर चुके हैं। वहीं सऊदी अरब, पाकिस्तान, बहरीन, अफगानिस्तान (तालिबान) और इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) बयान दे चुके हैं। वहीं मालदीव की संसद में विपक्ष की ओर से प्रस्ताव लाया गया था जिसे खारिज कर दिया गया है।

विरोध के बीच भाजपा ने रविवार को ही पैगंबर मोहम्मद पर कथित तौर पर अभद्र टिप्पणी करने को लेकर पार्टी प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पार्टी से निलंबित और प्रदेश मीडिया प्रभारी नवीन जिंदल को पार्टी से निष्काषित कर दिया था। खाड़ी देशों की ओर से विरोध दर्ज कराए जाने पर भारत सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान अभी तक नहीं आया था। केवल दूतावासों से इस पर प्रतिक्रिया दी गई थी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि एक धार्मिक व्यक्तित्व को बदनाम करने वाले आपत्तिजनक ट्वीट और टिप्पणियां कुछ व्यक्तियों द्वारा की गई थीं। वे किसी भी रूप में भारत सरकार के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करती। इन व्यक्तियों के खिलाफ संबंधित निकायों द्वारा पहले ही कड़ी कार्रवाई की जा चुकी है। इसी बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि भारत की वर्तमान सरकार धार्मिक स्वतंत्रता और विशेष रूप से मुसलमानों के अधिकारों को कुचल रही है।

इसके जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अल्पसंख्यक अधिकारों के क्रमिक उल्लंघन करने वाले देश के किसी दूसरे राष्ट्र में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे व्यवहार पर बेतुकी टिप्पणी करना कोई मतलब नहीं रखती। दुनिया इस बात की गवाह है कि पाकिस्तान में हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों और अहमदियों सहित अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न होता है।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार सभी धर्मों को सर्वोच्च सम्मान देती है। यह पाकिस्तान के बिल्कुल विपरीत है जहां कट्टरपंथियों की प्रशंसा की जाती है और उनके सम्मान में स्मारक बनाए जाते हैं। हम पाकिस्तान से आह्वान करते हैं कि वह खतरनाक दुष्प्रचार करने और भारत में सांप्रदायिक विद्वेष पैदा करने की कोशिश करने के बजाय अपने अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और कल्याण पर ध्यान केंद्रित करे।

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