कांग्रेस ने बुंदेलखंड में महिलाओं पर लगाया दांव, जनता नहीं उम्मीदवार की डिमांड…प्रियंका लाओ सीट बचाओ
सागर। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में बुंदेलखंड का सागर जिला सुर्खियों में है. दरअसल सागर जिले की आठ विधानसभाओं में भाजपा के दिग्गज नेताओं के सामने कांग्रेस ने चार महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. इन महिला उम्मीदवारों को भाजपा के उन दिग्गजों का मुकाबला करना है, जो कई बार से चुनाव जीत रहे हैं और उनको हराना कांग्रेस के लिए आसान नहीं है, लेकिन कांग्रेस ने यहां भाजपा को बैकफुट पर करने के लिए महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. महिलाओं को मैदान में उतारे जाने के बाद कांग्रेस के कार्यकर्ता और खुद महिला उम्मीदवार चाहती हैं कि अगर प्रियंका गांधी उनके लिए सागर कर दौरा करती हैं, तो कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ेगा और बुंदेलखंड में दिग्गजों का मुकाबला कर रही महिला उम्मीदवारों का मनोबल बढ़ेगा.
सागर जिले में कांग्रेस का प्रयोग: मध्य प्रदेश में सागर जिला ही एक ऐसा जिला है. जहां शिवराज सरकार में तीन-तीन दिग्गज कैबिनेट मंत्री हैं. इन कद्दावर नेताओं की बात करें. तो मंत्री गोपाल भार्गव आठ बार से चुनाव जीतते आ रहे हैं और नौवीं बार उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया है. कांग्रेस ने गोपाल भार्गव के सामने युवा महिला प्रत्याशी ज्योति पटेल को उम्मीदवार बनाया है, जो सागर जिला पंचायत की सदस्य हैं और ओबीसी कुर्मी समुदाय से आती हैं. वहीं दूसरी तरफ शिवराज सिंह के करीबी मंत्री भूपेंद्र सिंह की बात करें, तो यहां कांग्रेस ने युवा रक्षा सिंह राजपूत के लिए प्रत्याशी बनाया है. इसके अलावा सागर विधानसभा से चौथी बार जीत के लिए मैदान में उतरे भाजपा के शैलेंद्र जैन के खिलाफ उनकी बहू निधि जैन को उम्मीदवार बनाया है. वहीं बीना विधानसभा से कांग्रेस की निर्मला सप्रे को उम्मीदवार बनाया गया है.
कमलनाथ दिग्विजय सिंह की रणनीति का कमाल: सागर में कांग्रेस द्वारा किए जा रहे प्रयोग की बात करें, तो करीब साल भर पहले से कांग्रेस इन तीनों दिग्गज मंत्रियों के खिलाफ हमलावर हो गई थीं. कांग्रेस ने इसकी कमान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को सौंपी थी और दिग्विजय सिंह ने दिसंबर 2022 में सागर जिले के तीनों मंत्रियों के विधानसभाओं का दौरा करके मंत्रियों द्वारा प्रताड़ित जनता और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के परिजनों से मुलाकात की और कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने की शुरुआत की. बार-बार दिग्विजय सिंह ने दौरे किए और इन विधानसभाओं में जनता और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की प्रताड़ना के मुद्दों को जोर-जोर से उठाया.
कांग्रेस के बाद फिर भी बड़ी चुनौती थी कि इन दिग्गजों के सामने कौन से प्रत्याशी उतारे जाए. ऐसी स्थिति में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी ने सागर जिले में एक अभिनव प्रयोग कर डाला और जिले की आठ विधानसभा सीटों में से चार विधानसभा सीटों पर महिला प्रत्याशी उतार दिए. हालांकि महिला प्रत्याशियों के साथ जातिगत समीकरण भी साधे. रहली कुर्मी ओबीसी, खुरई सामान्य राजपूत, सागर जैन और बीना एससी महिला को उम्मीदवार बनाया.
दिग्गज हुए सतर्क और मौन: कांग्रेस की इस चाल के सामने भाजपाई दिग्गज पशोपेश में नजर आ रहे हैं. आलम ये है कि महिला प्रत्याशी सामने होने के कारण दिग्गज मंत्री उन पर ना तो कोई आरोप लगा पा रहे हैं और ना ही अनर्गल बयानबाजी कर पा रहे हैं. सूत्रों की माने तो इन मंत्रियों ने जहां खुद मौन धारण कर लिया है. वहीं अपने समर्थक और कार्यकर्ताओं को साफ तौर पर संदेश दिया है कि कांग्रेस की महिला प्रत्याशियों के बारे में कोई भी किसी तरह की टिप्पणी नहीं करेगा.
महिला उम्मीदवार भरपूर जोश में चाहती हैं प्रियंका का साथ: इन महिला उम्मीदवारों की बात करें, तो ये महिला उम्मीदवार दिग्गजों से भले ही चुनाव में पहले ना टकरायी हो, लेकिन कई ऐसे राजनीतिक घटनाक्रम सामने आए हैं, जब ये महिला नेता इन दिग्गजों के सामने चुनौती देती नजर आयीं. गोपाल भार्गव के सामने चुनाव लड़ रहीं ज्योति पटेल गोपाल भार्गव के गढ़ रहली में दो बार जिला पंचायत सदस्य के रूप में चुनाव जीती हैं. वहीं रक्षा सिंह राजपूत मंत्री भूपेंद्र सिंह पुरानी अदावत है, उनके परिवार को प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप मंत्री भूपेंद्र सिंह पर लगे है.
सागर विधानसभा की प्रत्याशी निधि जैन का एक साल के भीतर दूसरा चुनावी मुकाबला होगा. इसके पहले कांग्रेस के टिकट पर सागर नगर निगम से महापौर का चुनाव लड़ चुकी हैं. जब उनके जेठ शैलेंद्र जैन भाजपा विधायक के तौर पर उनके विरोध में खड़े थे. बीना से कांग्रेस उम्मीदवार निर्मला सप्रे की बात करें, तो पिछले विधानसभा चुनाव में निर्मला सप्रे महज 492 वोटों से भाजपा प्रत्याशी से हार गई थीं. अब जब दिग्गजों के सामने महिलाएं चुनाव मैदान में हैं, तो महिला सशक्तिकरण के प्रतीक के रूप में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को स्टार प्रचारक के तौर पर देखना चाहती हैं.