चंडीगढ़ में आयोजित किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा की संयुक्त बैठक में 8 जुलाई को भाजपा के 240 सांसदों को छोड़कर विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों को ज्ञापन सौंपने का फैसला किया है।
जिसमें स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार C2+50% फार्मूले के अनुसार फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने वाले कानून पर संसद में एक निजी सदस्य विधेयक पेश करने की मांग की गई है।
बैठक में अन्य लोगों के अलावा जगजीत सिंह दल्लेवाल, सरवन सिंह पंधेर, लखविंदर सिंह औलख, अमरजीत मोहरी, सुखजीत सिंह हरदोझंडे, तेजवीर सिंह, गुरिंदर सिंह भंगू, गुरमनीत सिंह मांगट, बलवंत सिंह बेहरामके और हरमनदीप सिंह रायसर उपस्थित थे।
किसान नेताओं ने सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य में की गई वृद्धि को नाकाफी बताते हुए कहा कि जब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की गारंटी का कानून नहीं बनता, तब तक किसानों को कोई लाभ नहीं मिलेगा।
उन्होंने कहा कि धान के मूल्य में 117 रुपए (5.35%) और बाजरे के मूल्य में 125 रुपए (5%) की वृद्धि की गई है, जबकि मई 2024 में ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई दर 5.28% रहने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि 13 फरवरी से शुरू हुआ आंदोलन एमएसपी गारंटी कानून बनने तक जारी रहेगा। किसान नेताओं ने कहा कि हरियाणा पुलिस किसान नेता नवदीप सिंह जलबेड़ा के साथ ऐसा व्यवहार कर रही है जो किसी भी लोकतांत्रिक देश में स्वीकार्य नहीं है।
नवदीप जलबेड़ा की रिहाई के लिए 17 जुलाई को हरियाणा के अंबाला में एसपी कार्यालय का घेराव किया जाएगा, जिसमें पंजाब-हरियाणा के कोने-कोने से किसान पहुंचेंगे।
किसान नेताओं ने आगे कहा कि 8 जुलाई को भाजपा के 240 सांसदों को छोड़कर देश के सभी दलों के सांसदों को किसान आंदोलन की मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा जाएगा, ताकि न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून समेत किसानों की सभी मांगों को प्रतिध्वनित किया जा सके, साथ ही संसद में एक निजी विधेयक पेश करने की अपील की जाएगी।
किसान नेताओं ने कहा कि पूरा देश जानता है कि राष्ट्रीय राजमार्ग को किसानों ने नहीं, बल्कि भाजपा सरकार ने बंद किया है और यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सड़क को खोले और किसानों को अपने देश की राजधानी में शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति दे।