चिल्ड्रन पार्क गेट संजौली के समीप बने बहुमंजिला भवन को लेकर हाई कोर्ट सख्त, चार हफ्ते में की जाए भवन गिराने के आदेश की अनुपालना
शिमला: राजधानी शिमला के उपनगर संजौली में नगर निगम प्रशासन ने चिल्ड्रन पार्क के गेट के समीप बहुमंजिला इमारत निर्मित कर दी थी. मामला हिमाचल हाई कोर्ट पहुंचा तो अदालत ने सख्ती दिखाते हुए बहुमंजिला इमारत को गिराने के आदेश पारित कर दिए. अदालत के समक्ष तथ्य पेश किए गए कि पहले से छोटे आकार के चिल्ड्रन पार्क को इमारत बनाकर और छोटा किया जा रहा है.
MC के रवैए पर HC का खेद: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने खेद जताया कि नगर निगम प्रशासन का रवैया सही नहीं है. अब हाई कोर्ट ने चिल्ड्रन पार्क के गेट के समीप बनाई गई इमारत को गिराने के आदेश की अनुपालना चार हफ्ते में करने के लिए कहा है. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर व न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की खंडपीठ ने इस मामले में नगर निगम प्रशासन की तरफ से दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए उपरोक्त आदेश सुनाया.
18 मई 2022 को बनाई इमारत: उल्लेखनीय है कि इस मामले में हिमाचल हाई कोर्ट ने विगत साल 21 अप्रैल को नगर निगम शिमला के संजौली स्थित चिल्ड्रन पार्क की ड्राइंग और मैप अदालत के सामने प्रस्तुत करने के आदेश जारी किए थे. अदालत ने संबंधित प्रशासन को आदेश जारी किए थे कि संजौली के चिल्ड्रन पार्क को उसकी पुरानी अवस्था में वापिस लाया जाए. मामले में संजौली के स्थानीय निवासी पीयूष वोहरा की तरफ से दायर आवेदन पर हाई कोर्ट ने 18 मई 2022 को पार्क में बनी बहुमंजिला इमारत को हटाने के आदेश पारित किए थे.
शौचालय और इमारत से पार्क एरिया हुआ कम: एक आवेदन के जरिए अदालत को बताया गया था कि चिल्ड्रन पार्क का कुल क्षेत्रफल 179.41 वर्ग मीटर है. इसमें प्रस्तावित सार्वजनिक शौचालय का 16.64 वर्ग मीटर क्षेत्र भी शामिल है. इस पर हिमाचल हाई कोर्ट ने खेद जताया था कि पहले ही आकार में छोटे संजौली के चिल्ड्रन पार्क को शौचालय और इमारत बनाकर और छोटा किया जा रहा है.
51 लोगों ने कोर्ट को भेजा शिकायत पत्र: संजौली के चिल्ड्रन पार्क में सार्वजनिक शौचालय बनाए जाने के खिलाफ कुल 51 स्थानीय लोगों ने भी अदालत को एक शिकायती पत्र भेजा था. हिमाचल हाई कोर्ट से शिकायत की गई थी कि नगर निगम चिल्ड्रन पार्क में बुक कैफे और सार्वजनिक शौचालय बनाया जा रहा है. इन आदेशों में संशोधन के लिए नगर निगम शिमला ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. अब हाई कोर्ट ने चार सप्ताह में इमारत गिराए जाने के आदेश की अनुपालना सुनिश्चित करने को कहा है.