कनाडा से जिस भारतीय राजनयिक को निष्कासित करके भारत वापस भेजा गया है, वो दरअसल पंजाब कॉडर के एक आईपीएस अधिकारी हैं. जिन्होंने लंबे वक्त तक पंजाब में अपनी सेवाएं दी हैं. 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी पवन कुमार राय मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के रहने वाले हैं लेकिन रॉ में डेपुटेशन पर जाने से पहले वो लंबे वक्त तक पंजाब पुलिस में तैनात रहे. पवन कुमार राय पंजाब के मोगा, अमृतसर और पाकिस्तान की सीमा से सटे जिले तरनतारन के एसएसपी रह चुके हैं.
इसके अलावा अमृतसर और जालंधर में बतौर एसपी भी उन्होंने पंजाब पुलिस के अलग-अलग विभागों में अपनी सेवाएं दी. पंजाब में तैनाती के दौरान आईपीएस पवन कुमार राय तब चर्चा में आए, जब उन्होंने विधायक की गाड़ी से 10 किलो हेरोइन बरामद की थी.जुलाई 1, 2010 को पवन कुमार राय को डेपुटेशन पर रॉ में भेज दिया गया था.
उनके साथ के अफसर इस वक्त पंजाब पुलिस में एडिशनल डीजीपी के पद पर तैनात हैं. पवन कुमार राय को पंजाब पुलिस में सख्त रवैये और ईमानदार छवि की वजह से एक अलग पहचान मिली और इसी वजह से ड्रग्स के खिलाफ उनके द्वारा शुरू की गई मुहिम के तहत राजनीतिक तौर पर उनके कई नेताओं के साथ टकराव भी रहे.
क्यों किया गया निष्कासित?
कनाडा प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत की भूमिका का आरोप लगाया. जिसके बाद कनाडा के विदेश मंत्री मेलानी जोली ने भारतीय राजनयिक पवन राय कुमार को निष्कासित करने का आदेश जारी किया. हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कनाडा में 18 जून को हुई थी.
खुद की थी डेपुटेशन की अपील
पवन कुमार राय ने खुद ही डेपुटेशन पर केंद्र भेजे जाने की अपील दाखिल की और 2010 में पंजाब पुलिस से उन्हें डेपुटेशन पर रॉ में भेजा गया. 8 साल तक रॉ में अलग-अलग पदों पर रहने के बाद उन्हें 2018 में विदेश विभाग में ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर तैनात किया गया और कनाडा में बतौर इंटेलिजेंस ऑफिसर नियुक्त किया गया.
वर्तमान में वह कनाडा में भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के स्टेशन प्रमुख के रूप में कार्यरत थे.आमतौर पर किसी भी राजनयिक को निष्कासित किए जाने के दौरान उसकी जानकारी को गुप्त रखा जाता है लेकिन कनाडा सरकार ने पवन कुमार राय को लेकर तमाम जानकारियां और उनका प्रोफाइल लीक कर दी है.
विधायक की गाड़ी से बरामद की थी हेरोइन
1997 बैच के आईपीएस पनव कुमार राय पंजाब में अपने कार्यकाल के दौरान अकाली दल के एक विधायक की गाड़ी से 10 किलो हेरोइन बरामद की थी. उस समय राज्य में अकाली दल की ही सरकार थी और वह उस समय तरनतारन के एसएसपी थे. इतनी ही नहीं उन्होंने पंजाब पुलिस के अधिकारी शिवकुमार के बेटे को जालंधर में हीरों की डकैती के मामले में गिरफ्तार किया था.