
लट्ठमार होली की परंपरा की शुरुआत:
लट्ठमार होली की परंपरा भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी से जुड़ी हुई है। किवदंतियों के अनुसार, श्री कृष्ण राधा रानी और गोपियों के साथ लट्ठमार होली खेलते थे, जिसमें महिलाएं पुरुषों पर लाठियां बरसाती थीं। यह परंपरा आज भी बरसाना और नंदगांव में निभाई जाती है, जहां नंदगांव के पुरुष बरसाना की महिलाओं से होली खेलने आते हैं।
इस परंपरा के अनुसार, नंदगांव के पुरुष बरसाना की महिलाओं से होली खेलने आते हैं, और महिलाएं उन्हें लाठियों से स्वागत करती हैं। यह खेल प्रेम और उल्लास का प्रतीक माना जाता है।
लट्ठमार होली के दौरान महिलाएं पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं, जबकि पुरुष अपनी ढालों से अपनी रक्षा करते हैं। यह खेल राधा कृष्ण के प्रेम और उनके बीच की शरारतों का प्रतीक है।
इस परंपरा के अनुसार, नंदगांव के पुरुष बरसाना की महिलाओं से होली खेलने आते हैं, और महिलाएं उन्हें लाठियों से स्वागत करती हैं। यह खेल प्रेम और उल्लास का प्रतीक माना जाता है।
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लट्ठमार होली के दौरान महिलाएं पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं, जबकि पुरुष अपनी ढालों से अपनी रक्षा करते हैं। यह खेल राधा कृष्ण के प्रेम और उनके बीच की शरारतों का प्रतीक है।
इस परंपरा के अनुसार, नंदगांव के पुरुष बरसाना की महिलाओं से होली खेलने आते हैं, और महिलाएं उन्हें लाठियों से स्वागत करती हैं। यह खेल प्रेम और उल्लास का प्रतीक माना जाता है।
लट्ठमार होली के दौरान महिलाएं पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं, जबकि पुरुष अपनी ढालों से अपनी रक्षा करते हैं। यह खेल राधा कृष्ण के प्रेम और उनके बीच की शरारतों का प्रतीक है।