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RTE में लापरवाही, मेरठ पिछड़ा

उत्तर प्रदेश में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत बच्चों के प्रवेश को लेकर कई जिलों में गंभीर लापरवाही सामने आई है। राज्य सरकार ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, मेरठ जिले की स्थिति सबसे खराब पाई गई, जबकि बस्ती जिले ने आरटीई क्रियान्वयन में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। इस भेदभावपूर्ण कार्यशैली पर सरकार ने चेतावनी दी है और सुधार की सख्त जरूरत बताई है।

आरटीई के तहत गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करने की योजना है, लेकिन सरकारी आंकड़ों से साफ़ है कि कुछ जिलों में इसका क्रियान्वयन बहुत कमजोर रहा है। मेरठ जिले में बड़ी संख्या में सीटें खाली रह गईं और समय रहते दाखिले की प्रक्रिया पूरी नहीं की गई, जिससे बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया।

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इसके विपरीत, बस्ती जिले ने आरटीई योजना को गंभीरता से लेते हुए समयबद्ध तरीके से बच्चों का चयन और दाखिला सुनिश्चित किया। प्रशासन की सक्रियता और शिक्षा विभाग की निगरानी से बस्ती प्रदेश का टॉप परफॉर्मर बनकर उभरा है। यह उदाहरण अन्य जिलों के लिए प्रेरणा बन सकता है।

शासन स्तर से निर्देश जारी किए गए हैं कि जिन जिलों में प्रदर्शन खराब रहा है, वहां संबंधित अधिकारियों से जवाब-तलब किया जाएगा। मेरठ सहित अन्य पिछड़े जिलों को चेतावनी दी गई है कि यदि सुधार नहीं हुआ तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि आरटीई जैसे जनकल्याणकारी कानून की अनदेखी न केवल बच्चों के अधिकारों का हनन है, बल्कि यह शिक्षा तंत्र की असफलता को भी दर्शाता है। सरकारी स्कूलों और निजी संस्थानों के बीच तालमेल की कमी भी इसका एक बड़ा कारण है।

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