सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (SLSA) के सदस्य सचिव के साथ समन्वय करने के लिए नोडल अधिकारी की नियुक्त करें ताकि कोविड-19 (Covid-19) से जान गंवाने वालों के परिजनों को अनुग्रह राशि का भुगतान किया जा सके. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्यों से मिली जानकारी के बाद 10 दिन की अधिकतम अवधि के अंदर पीड़ितों को मुआवजे का भुगतान कर दिया जाना चाहिए. न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने राज्य सरकारों को आज (शुक्रवार) से एक सप्ताह के भीतर संबंधित राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास नाम, पता और मृत्यु प्रमाणपत्र के साथ-साथ अनाथों के संबंध में पूर्ण विवरण उपलब्ध कराने का निर्देश दिया और कहा कि इसमें विफल रहने पर मामले को बहुत गंभीरता से लिया जाएगा.
शीर्ष अदालत ने दोहराया कि मुआवजे की मांग करने वाले आवेदनों को तकनीकी आधार पर खारिज नहीं किया जाना चाहिए और यदि कोई तकनीकी गड़बड़ी पाई जाती है, तो संबंधित राज्यों को उन्हें त्रुटि ठीक करने का अवसर देना चाहिए क्योंकि कल्याणकारी राज्य का अंतिम लक्ष्य पीड़ितों को कुछ सांत्वना और मुआवजा प्रदान करना होता है. कोर्ट ने कहा कि राज्यों को दावा प्राप्त होने के 10 दिन की अधिकतम अवधि के भीतर पीड़ितों को मुआवजे का भुगतान करने के लिए सभी प्रयास करने चाहिए.
न्यायालय ने कहा कि इसने अपने पहले के आदेश में कहा था कि राज्य सरकारें अपने पोर्टल पर दर्ज कोविड-19 से संबंधित मौतों का पूरा ब्योरा देने के साथ ही उन व्यक्तियों का पूर्ण विवरण दें जिन्हें अनुग्रह राशि का भुगतान किया जा चुका है, लेकिन इसके बावजूद ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकतर राज्यों ने केवल आंकड़े दिए हैं और कोई पूर्ण विवरण नहीं दिया है. पीठ ने कहा कि पूरा विवरण देने के पहले के आदेश का उद्देश्य कम से कम उन मामलों को देखना था जो राज्य सरकारों के पास पंजीकृत हैं और जिनमें मुआवजे के लिए उपयुक्त अधिकारियों से संपर्क नहीं किया गया है.