
वृंदावन स्थित बांकेबिहारी मंदिर में हाल ही में दिए गए सेवायतों के बयान से यादव समाज की भावनाएं आहत हुई हैं। सेवायतों द्वारा यह कहे जाने पर कि वे सेवा में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, यादव समुदाय ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि सेवायत सेवा करने में सक्षम नहीं हैं, तो मंदिर की सेवा उन्हें सौंप दी जाए, ताकि वह पूरे श्रद्धा और समर्पण के साथ ठाकुरजी की सेवा कर सकें।
यादव समाज ने यह भी आरोप लगाया कि मंदिर की पारंपरिक व्यवस्थाएं अब कुछ लोगों के निजी हितों के अधीन होती जा रही हैं। उनका कहना है कि बांकेबिहारी केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि आस्था और परंपरा का केंद्र हैं, और यदि वर्तमान सेवायत उसे निभा नहीं पा रहे हैं, तो समाज उसे अपनी जिम्मेदारी समझते हुए आगे आएगा।
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इस मुद्दे को लेकर अब ब्रज क्षेत्र में माहौल गरमा गया है। विभिन्न सामाजिक संगठनों ने भी सेवायतों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मांग की जा रही है कि सरकार इस मुद्दे में हस्तक्षेप करे और मंदिर की व्यवस्था में पारदर्शिता सुनिश्चित करे। यादव समाज ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
इस विवाद ने धार्मिक संस्थानों में पारंपरिक सेवाओं को लेकर नई बहस को जन्म दे दिया है। क्या धार्मिक सेवा कुछ विशेष वर्ग तक सीमित रहनी चाहिए, या फिर समाज के दूसरे हिस्सों को भी उसका अधिकार मिलना चाहिए — यह सवाल अब खुलकर सामने आ गया है।