
सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव को लेकर एक ऐतिहासिक टिप्पणी करते हुए कहा है कि ग्राम स्तर पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को भी अब अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी देना अनिवार्य होगा। कोर्ट का यह फैसला चुनाव में पारदर्शिता और मतदाताओं को सही जानकारी देने के उद्देश्य से लिया गया है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल लोकसभा और विधानसभा चुनावों में ही नहीं, बल्कि स्थानीय निकायों और पंचायत चुनावों में भी यह नियम लागू होना चाहिए। मतदाताओं को यह जानने का अधिकार है कि उनके सामने खड़ा प्रत्याशी कितना साफ-सुथरा है या उस पर कौन-कौन से गंभीर आरोप हैं।
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सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी से राजनीतिक दलों पर भी दबाव बढ़ेगा कि वे स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दें। साथ ही, राज्य निर्वाचन आयोगों को यह सुनिश्चित करना होगा कि नामांकन प्रक्रिया के दौरान उम्मीदवार अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि की पूरी जानकारी दें।
यह फैसला ग्रामीण राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकता है, जहाँ अब तक उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि की जानकारी आसानी से उपलब्ध नहीं होती थी। इससे न केवल चुनाव प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होगी, बल्कि ग्रामीण स्तर पर भी राजनीति का शुद्धिकरण संभव हो सकेगा।