
नयी दिल्ली: राजस्थान में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर शुक्रवार को राज्यसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक हुई जिसके कारण सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी। भारतीय जनता पार्टी के राजस्थान से सदस्य घनश्याम तिवारी ने राजस्थान में कानून- व्यवस्था की स्थिति का मुद्दा उठाते हुए कहा कि उन्होंने इस पर चर्चा कराने के लिए नोटिस दिया था। उनके इतना कहते ही विपक्ष के सदस्यों ने इसका प्रतिवाद करना शुरू कर दिया। सत्ता पक्ष के सदस्य भी श्री तिवारी के समर्थन में बोलने लगे। सभापति ने सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के सदस्यों से सदन में शांति बनाए रखने की अपील की। उनकी अपील का असर होते न देख सभापति ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले सुबह सभापति ने जरूरी दस्तावेज सदन के पटल पर रखे जाने के बाद जब कार्यवाही शुरू की तो नेता सदन पीयूष गोयल ने सभापति जगदीप धनखड़ को उनके कार्यकाल का एक वर्ष पूरा होने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि सभापति ने किसान परिवार से निकल कर देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद का सफर पूरा कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने अपने सरल स्वभाव, व्यक्तित्व तथा कार्यशैली से सदन को लाभान्वित किया है तथा सभी पक्षों को साथ लेकर सदन की कार्यवाही सुचारू ढंग से चलाई है। नेता विपक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने कहा कि नेता सदन ने उन्हें इस बात का संकेत नहीं दिया वरना तो हम सब मिलकर सभापति को बधाई देते। उन्होंने कहा,“ हम अब इस मौके पर इसमें शरीक हो जाते हैं और सभापति को बधाई देते हैं।”
उन्होंने मानसून सत्र के दौरान कुछ सदस्यों को निलंबित किए जाने तथा कुछ को विशेषाधिकार हनन के नोटिस भेजे जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि लोकसभा में भी कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को निलंबित किया गया है। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने उनकी इस बात का विरोध करते हुए कहा कि दूसरे सदन के विषय पर यहां चर्चा नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि श्री चौधरी ने कोई ऐसी गंभीर बात नहीं कही थी जिसके कारण उनका निलंबन किया जाए। उन्होंने कहा,“अधीर रंजन की नेता विपक्ष होने के कारण कुछ संस्थाओं में मौजूदगी जरूरी है लेकिन अब उन्हें इससे वंचित कर दिया गया है।” सत्ता पक्ष द्वारा दोबारा इसे दूसरे सदन का मुद्दा बताए बताए जाने पर सभापति ने कहा कि वह इस बारे में अपनी व्यवस्था बाद में देंगे।